मुंबई।
पंकज त्रिपाठी इस बात से नाराज हैं कि उनकी फिल्म ओएमजी-2 को अ सर्टिफिकेट क्यों मिला। पंकज ने कहा कि उनकी फिल्म 12-17 साल के एज ग्रुप को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। ऐसे में उन्हें इस फिल्म को देखने की सबसे ज्यादा जरूरत है। अब अ सर्टिफिकेट मिलने से टारगेट ऑडियंस ही फिल्म नहीं देख पाएगी।
पंकज ने कहा कि जब वे लोग फिल्म बना रहे थे, तो उनके दिमाग में भी नहीं था कि फिल्म को अ सर्टिफिकेट मिलेगा। पंकज के मुताबिक, गैंग्स ऑफ वासेपुर के वक्त पता था कि फिल्म को एडल्ट सर्टिफिकेट मिलेगा, क्योंकि उस फिल्म का नेचर वही था। पंकज त्रिपाठी फिल्म ओएमजी-2 में अक्षय कुमार के साथ लीड रोल निभा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पंकज ने एक इवेंट में कहा- गैंग्स आफ वासेपुर बनाते वक्त हमारे दिमाग में था कि फिल्म को किसी भी हाल में एडल्ट सर्टिफिकेट ही मिलेगा। लेकिन ओएमजी-2 के साथ बहुत हैरानी हुई। हमने बिल्कुल नहीं सोचा था कि फिल्म को अ सर्टिफिकेट मिलेगा। थोड़ा मलाल हो रहा है कि जिस एज ग्रुप को यह फिल्म देखनी चाहिए वे इसे नहीं देख पाएंगे। पंकज ने आगे कहा- मुझे लगता है कि व/अ और अ सर्टिफिकेट के बीच कुछ समाधान निकालना चाहिए। उम्मीद है कि सिनेमैटोग्राफ बिल आने से कुछ बदलाव होगा।
यामी ने कहा- सनी देओल की फैन हूं, उम्मीद है कि दोनों फिल्म अच्छा करेगीं
इस प्रमोशनल इवेंट में यामी गौतम भी मौजूद थीं। उनसे ओएमजी-2 और गदर 2 के बीच क्लैश पर सवाल पूछा गया। यामी ने कहा कि वे सनी देओल की बहुत बड़ी फैन रही हैं। यामी ने कहा कि वे सनी देओल के हैंडपंप उखाड़ने वाले सीन की एक तस्वीर भी रखी हुई हैं। उन्होंने कहा- गदर 2 की एक अपनी ऑडियंस है। हमारी एक अपनी ऑडियंस है। हम चाहते हैं कि ऑडियंस दोनों फिल्में देखें। बार्बी और ओपेनहाइमर एक ही दिन रिलीज हुई थीं। हालांकि दोनों फिल्मों ने अच्छी कमाई की। हम चाहते हैं कि ओएमजी-2 और गदर-2 को भी लोग वही प्यार दें। एक हफ्ते पहले फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया था। उसमें देखा गया कि पंकज त्रिपाठी का कैरेक्टर भगवान शिव के दर पर अपने बेटे को न्याय दिलाने की बात करता है। इसी बीच अक्षय कुमार की एंट्री होती है। जैसा कि ट्रेलर से समझ आया कि अक्षय इस बार शिव के अवतार के रूप में नजर आ रहे हैं। उनकी वेशभूषा भगवान शंकर की तरह दिखाई गई है।
हालांकि, पूरे ट्रेलर में उन्हें कहीं से भी शिव का अवतार नहीं कहा गया। बस उनका रोल भगवान शिव के अवतार से प्रभावित लगा। जाहिर है कि सेंसर बोर्ड ने उनके कैरेक्टर पर आपत्ति जताई थी। कहा जा रहा है कि यह फिल्म सेक्स एजुकेशन जैसे मुद्दे पर आधारित है। यह विषय ऐसा है जिस पर अमूमन बात नहीं किया जाता। स्कूलों में भी इस विषय पर पढ़ाया नहीं जाता। मेकर्स का कहना है कि वे इस फिल्म के जरिए बच्चों और उनके अभिभावकों को जरूरी संदेश देना चाहते हैं। हालांकि सेंसर बोर्ड के अ सर्टिफिकेट देने से मेकर्स के अरमानों पर पानी फिरता दिख रहा है। फिल्म में चूंकि धार्मिक एंगल भी है, इसलिए काफी दिनों तक यह फिल्म सेंसर बोर्ड के पास अटकी रही। आदिपुरुष के साथ जो हुआ, सेंसर बोर्ड दोबारा कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। आदिपुरुष को सर्टिफिकेट देने में सेंसर बोर्ड की काफी किरकिरी हुई थी।