नई दिल्ली
राज्यसभा के पांच सदस्यों ने दावा किया है कि दिल्ली सेवा विधेयक के लिए प्रस्तावित प्रवर समिति में नाम शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं ली गई। इस शिकायत पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने मामले की जांच कराने की सोमवार को घोषणा की। भाजपा के केएस फांगनोन कोन्याक, नरहरि अमीन और सुधांशु त्रिवेदी, अन्नाद्रमुक के एम. थंबीदुरई और बीजद के सस्मित पात्रा ने राघव चड्ढा के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव की मांग की है। थंबीदुरई पहले ही इसके लिए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पत्र दे चुके हैं।
नोटिस का जवाब देंगेः चड्ढा
चड्ढा ने कहा कि जब विशेषाधिकार समिति नोटिस भेजेगी तो वह उन्हें जवाब देंगे। यह मामला उस समय उठा जब आम आदमी पार्टी (आप) नेता राघव चड्ढा ने विधेयक पर प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव में विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की बात कही गई थी। हालांकि चड्ढा के प्रस्ताव को ध्वनि मत से खारिज कर दिया गया। उपसभापति ने जब प्रवर समिति के सदस्यों के नाम पढ़े तब गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पांच सदस्यों ने शिकायत की है कि आप नेता द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में उनकी सहमति के बिना नाम शामिल किए गए हैं। गृह मंत्री ने इसे सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन बताते हुए कहा कि मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजा जाना चाहिए।
शाह ने कहा, उनकी ओर से किसने हस्ताक्षर किए हैं, यह जांच का विषय है। उन्होंने शिकायतकर्ता सदस्यों के बयान दर्ज करने का अनुरोध किया। शाह ने आप पर आरोप लगाया कि वह संसदीय कार्यवाही में धोखाधड़ी कर रही है।
तभी बीजद के सस्मित पात्रा, अन्नाद्रमुक केएम थंबीदुरई और भाजपा के एस. फांगनोन कोन्याक ने कहा कि प्रस्तावित समिति में नाम शामिल करने के लिए उनकी सहमति नहीं ली गई। उपसभापति ने कहा कि सदस्यों की शिकायतों की जांच कराई जाएगी। हालांकि यह नहीं बताया कि जांच किस एजेंसी से कराई जाएगी। कितने समय में जांच पूरा किया जाएगा यह भी नहीं बताया।