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आर्थिक सहयोग से परंपरागत पेशे में सशक्त किए जाएंगे आदिम जनजाति समूह, ये योजनाएं

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 झारखंड

आदिम जनजाति के लोगों को उनके परंपरागत पेशे में और दक्ष बनाकर उन्हें सशक्त बनाया जाएगा। इसके लिए झारखंड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी (जेटीडीएस) राज्य के कई हिस्सों में आदिम जनजातियों के बीच काम कर रहा है। इसमें आदिम जनजाति समाज के लोगों को आर्थिक सहयोग देने से लेकर उनके उत्पादों को बाजार तक उपलब्ध कराकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने की कोशिश की जा रही है।   

रांची में बिरहोर जनजाति के लोगों को मदद:
इस योजना के तहत रांची जिले के बुंडू प्रखंड में बिरहोर जनजाति के लोगों को सशक्त करने की रणनीति बनाई गई है। इस पर अमल शुरू कर दिया गया है। इस प्रखंड की हुमटा पंचायत के अमनबुरु गांव में बिरहोर समुदाय के लोगों की मदद के लिए उन्हें टारगेटेड हार्डकोर पुअर स्कीम से जोड़ा जा रहा है। इस गांव में बिरहोर जनजाति के 60-65 परिवार हैं और उनकी आबादी लगभग दो सौ है। उल्लेखनीय है कि बिरहोर जनजाति झारखंड की लुप्तप्राय जनजाति है और इसे बचाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कई प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में इस जनजाति के लोगों की संख्या 10 हजार के आसपास ही रह गई है।

महिलाओं की सूची बनी:
जेटीडीएस ने अपनी योजना के तहत अमनबुरु गांव की बिरहोर महिलाओं की सूची बनाई है। इस गांव की बिरहोर जनजाति के लोगों का पारंपरिक पेशा रस्सी बनाना है। पहले ये लोग पेड़ों की छाल से रस्सी बनाते थे और उन्हें बाजार में बेचते थे। लेकिन अब उन्होंने प्लास्टिक की रस्सियां बनाना शुरू किया है। लेकिन बाजार और सही कीमत नहीं मिलने के कारण उन्हें इस पारंपरिक पेशे से बहुत आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता है।

उत्पाद को बाजार मिलेगा:
जेटीडीएस ने तय किया है कि बिरहोर जनजाति की महिलाओं को आर्थिक सहयोग देकर रस्सी बनाने की उनकी कला को उन्नत किया जाएगा। उनके द्वारा उत्पादित रस्सियों को सही कीमत मिल सके इसके लिए जेटीडीएस द्वारा बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा इन महिलाओं को बतख और मुर्गी पालन में मदद दी जाएगी ताकि उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके। इसके अलावा इन महिलाओं को केले की खेती से जोड़ा जाएगा।

पहले किया गया सर्वे:
जेटीडीएस ने इन महिलाओं को सशक्त बनाने की योजना शुरू करने के पहले अमनबुरु गांव के बिरहोर जनजाति के लोगों के बीच सर्वे किया। इस योजना के लाभुकों के चयन से पहले अमनबुरु के ग्रामीणों के साथ बैठक की गई। इसके बाद उन तालाबों व खेत का निरीक्षण किया गया जहां वे काम करते थे। इसके बाद तय किया गया कि लाभुकों को उनके परंपरागत पेशे में और कुशल बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाए।

प्रशिक्षण भी देगी जेटीडीएस:
जेटीडीएस के रांची जिला परियोजना प्रबंधक वेदप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि आदिम जनजाति की इन महिलाओं को वित्तीय मदद की जाएगी ताकि वे अपने परंपरागत पेशे को और उन्नत तरीके से कर सके। साथ ही उन्हें उस पेशे में दक्ष बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।