जयपुर
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। खदानों की नीलामी के फैसले पर राजस्थान हाईकोर्ट ने जो रोक लगाई थी। उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से राज्य सरकार अब प्रदेश में अटकी पड़ी 50 हजार से ज्यादा खदानों को नीलामी के लिए बेच सकेगी। सुप्रीम कोर्ट में ये आदेश जज ए.एस बोपन्ना और एम.एम सुंदरेश ने दिए हैं। राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पैरवी सीनियर रिपोर्टर मनीष सिंघवी ने की।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक गहलोत सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में खनन नीलामी का नया नियम लाते हुए पुरानी आवंटन पॉलिसी को रद्द कर दिया था। इस कारण प्रदेशभर में 50 हजार से ज्यादा छोटी खदानों के आवंटन के लिए जो आवेदन आए थे वो रद्द हो गए। सरकार के इस फैसले को आवेदन करने वाले लोगों ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करने के बाद मार्च 2013 को फैसला सुनाते हुए गहलोत सरकार के फैसले को रद्द करते हुए खदानों का आवंटन पुरानी पॉलिसी के तहत करने के लिए कहा।
10 साल बाद आया फैसला
हाईकोर्ट के इस आदेश को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के बाद मामले पर सुनवाई और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज गहलोत सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2013 के हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए गहलोत सरकार के नीलामी वाले फैसले को बहाल कर दिया।
50 हजार से ज्यादा माइन्स का होगा ऑक्शन
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद अब सरकार प्रदेश की छोटी-छोटी 50 हजार से ज्यादा माइन्स को नीलामी के जरिए बेच सकेगी। इससे सरकार को करोड़ों रुपए का रेवेन्यू मिलेगा। 2013 से पहले सरकार खदानों का आवंटन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर करती थी। इस पॉलिसी के तहत राज्य सरकार के पास प्रदेशभर से 50 हजार से ज्यादा आवेदन आ गए थे, जाे पेडिंग चल रहे थे।