प्रयागराज
इलाहाबाद उच्च न्यायालय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की अपील पर आज सुृनवाई शुरू हो गई है। मुस्लिम पक्ष ने याचिका में 7 दलील दी हैं। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद पिछले 1000 साल से भी ज्यादा समय से वहां पर मौजूद है और 1669 में वाराणसी में कोई मंदिर किसी बादशाह के आदेश से नहीं तोड़ा गया।
मुस्लिम कमेटी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नकवी ने कहा, यह ठीक नहीं है, कोई कोर्ट की ओर से किसी और को सबूत जुटाने के लिए नहीं कह सकता। उनका कहना है कि हिंदू पक्ष ASI द्वारा जुटाए गए सबूतों के आधार पर सबूत पेश करेगा। नकवी ने कहा, हिंदू पक्ष का रुख बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष ने पूछा कि क्या खुदाई जरूरी है। इस पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णू शंकर जैन ने कहा, खुदाई जरूरी है लेकिन हम मस्जिद के अंदर यह काम नहीं करेंगे. केवल बंजर भूमि पर खुदाई करेंगे। जरूरत पड़ने पर ही इसे अंतिम चरण में किया जाएगा। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष से पूछा कि जब आवेदन में बार-बार एएसआई का जिक्र है तो एएसआई को पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया।
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर 21 जुलाई के वाराणसी जिला अदालत के आदेश को चुनौती दी है। जिला अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता के वकील एसएफए नकवी ने विभिन्न आधार पर 21 जुलाई का आदेश रद्द करने का अदालत से अनुरोध किया। उनकी दलील है कि जिला अदालत ने जल्दबाजी में एएसआई को सर्वेक्षण करने का आदेश दिया और चार अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा। निचली अदालत ने याचिकाकर्ता को इस आदेश को चुनौती देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया। वहीं दूसरी ओर, प्रतिवादी पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन की दलील है कि राम मंदिर मामले में एएसआई द्वारा सर्वेक्षण किया गया और इसे उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वीकार किया गया। इसलिए, निचली अदालत द्वारा पारित आदेश सही है।
उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी प्रबंधन कमेटी को राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एएसआई के सर्वेक्षण पर 26 जुलाई को शाम पांच बजे तक रोक लगा दी थी। इससे पूर्व, वाराणसी की अदालत ने शुक्रवार को एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था।