मुंबई
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच लंबे समय से सीमा विवाद चला आया है। कर्नाटक और महाराष्ट्र जब दोनों जगहों पर भाजपा की सरकार थी तब भी विवाद का कोई हल नहीं निकला। अब यह विवाद और गहराता नजर आ रहा है। महाराष्ट्र के दायरे में आने वाले कन्नड़ भाषी इलाके के कई गांवों ने कर्नाटक में शामिल होने की इच्छा जताई है। उनका कहना है कि महाराष्ट्र सरकार उनको नजरअंदाज कर रही है और मूलभूत सुविधाएं भी नहीं उपलब्ध करवा रही है।
हाल ही में कागल तालु की 10 ग्राम पंचायतों ने कर्नाटक में शामिल होने के लिए प्रस्ताव पारित किया है। पहले इसी तरह का फैसला पहले भी लगभग 800 गांव ले चुके हैं। महाराष्ट्र सरकार ने दूधगंगा नदी के पानी को इचलकरानजी शहर के लिए सप्लाई करने का फैसला किया है। इससे इन गांवों के लोगों में नाराजगी है। कागल तालुक की ग्राम पंचायत में दूधगंगा बचाओ कृति समिति ने इस प्रोजेक्ट का विरोध किया। इसमें 20 से ज्यादा ग्राम पंचायतें शामिलल थीं।
समिति की बैठक में प्रस्ताव पास किया गया और इसमें कहा गया कि उन्हें कर्नाटक में शामिल होने के बाद सुविधाएं मिल सकती हैं। कृषि और घरेलू इस्तेमाल के लिए पानी की सुविधा भी कर्नाटक सुनिश्चित कर सकता है। बता दें कि कागुल तालुक कर्नाटक की सीमा पर ही है और यहां 90 फीसदी मराठी भाषी लोग हैं। भौगोलिक रूप से महाराष्ट्र के साथ होने के बाद भी यहां के लोग कई मामलों में कर्नाटक पर निर्भर रहते हैं। शिक्षा के लिए भी वे कर्नाटक के स्कूल और कॉलेज जाते हैं।
इस बैठक में शामिल हुए लोगों ने कहा, कागल तालुक को मानसून के समय मे भी पानी की समस्या से जूझना पड़ता है। अगर दूधगंगा के पानी को इचालकारनजी में सप्लाई कर दिया गया तो संकट और भी गहरा जाएगा इसलिए हमने सरकार के इस प्रोजेक्ट का विरोध करने का फैसला किया है। प्रस्ताव में कहा गया कि सरकार को शहर के पास बहने वाली पंचगंगा से पान की सप्लाई करनी चाहिए ना कि दूधगंगा से।