नई दिल्ली। भारतीयों का विदेशी खर्च किस तेजी से बढ़ रहा है इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि भारतीय रिजर्व बैंक की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत देश से बाहर जाने वाली राशि पिछले पांच सालों में बढ़कर 10 गुना हो गई है। देशवासी न सिर्फ विदेश यात्रा, बल्कि दुनियाभर के देशों में रहने वाले अपने रिश्तेदारों का खर्च उठाने के लिए भी यह राशि भेज रहे हैं। आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि एलआरएस के तहत वित्त वर्ष 2018-19 में फरवरी तक 1,231 करोड़ डॉलर विदेश भेजे गए। यह आंकड़ा इसलिये ज्यादा चौंकाने वाला है क्योंकि वित्त वर्ष 2013-14 में सिर्फ 109.3 करोड़ डॉलर ही एलआरएस के तहत विदेश भेजे गए थे। इस तरह पांच साल के भीतर यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 10 गुना हो गया है। रिजर्व बैंक की एलआरएस स्कीम के तहत भारत में रहने वाला कोई भी नागरिक अपने खाते से किसी भी फाइनेंशियल इयर में 2.50 लाख डॉलर तक विदेश भेज सकता है। इस योजना के तहत विदेश में पढ़ाई करने, इलाज कराने, विदेश यात्रा करने और करीबी रिश्तेदार की देखभाल के लिए रकम भेजी जा सकती है। साथ ही विदेशी खाते में भी यह रकम जमा की जा सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि फाइनेंशियल इयर 2018-19 में एलआरएस के तहत सबसे ज्यादा राशि विदेश यात्रा के लिए भेजी गई। इसके बाद विदेश में रहने वाले करीबी रिश्तेदारों की देखभाल के लिए भेजी गई राशि का नंबर आता है। आंकड़ों से पता चलता है कि हाल के कुछ सालों में विदेश में रहने वाले रिश्तेदारों की देखभाल के लिए भेजी गयी राशि में काफी बढोतरी हुई है। खास बात यह है कि एलआरएस योजना के तहत विदेश में पढ़ाई के लिए भेजी जाने वाली राशि में भी खासी बढोतरी हुई है। इसी तरह विदेश में उपहार देने के नाम पर भी अच्छी-खासी राशि इस सरकार की इस योजना के तहत विदेश भेजी गयी है।