Home देश मणिपुर में फूटा दरिदों के खिलाफ गुस्सा, महिलाओं की न्यूड परेड के...

मणिपुर में फूटा दरिदों के खिलाफ गुस्सा, महिलाओं की न्यूड परेड के आरोपी का घर फूंका

11

इम्फाल
मणिपुर में भीड़ द्वारा दो महिलाओं को नंगा करके घुमाने का वीडियो वायरल होने से बवाल मचा हुआ है। वीडियो सामने आने के दो दिन बाद मुख्य आरोपी के घर को शुक्रवार को उपद्रवियों ने जला दिया। वायरल वीडियो में मणिपुर के कांगपोकपी जिले में महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न अवस्था में घुमाते हुए दिखाया गया है। आरोप है कि महिलाओं का गैंगरेप भी किया गया। कांगपोकपी जिले के एक गांव में हुई यह घटना 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के एक दिन बाद हुई। हालांकि इसके फुटेज बुधवार को ही सामने आए। सोशल मीडिया में तेजी से फैल गया। सरकार के आदेश के बाद इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटा लिया गया।

यह घटना 4 मई को हुई थी। शिकायत 18 मई को दर्ज की गई थी। इसे 21 जून को पुलिस स्टेशन में भेज दिया गया था। और सोशल मीडिया पर नाराजगी के बाद पहली गिरफ्तारी गुरुवार को हुई। कई मायनों में गिरफ्तारी को अंजाम देने में मणिपुर सरकार की गति ने उनकी कार्रवाई की पूरी कमी को उजागर कर दिया। एक के बाद एक चूक पर चुप्पी साध ली गई। 77 दिनों तक इस पर पर्दा डालने का प्रयास किया। पहली शिकायत 18 मई को काकंगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। शिकायत विस्तृत थी और इसमें घातक हथियार के साथ डकैती, अपहरण, हमला, बलात्कार और हत्या की धाराएं शामिल थीं। मामले को नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने में पुलिस को एक महीने और तीन दिन लग गए। 21 जून को मामला नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन के पास आया। ऐसा लगता है कि एफआईआर में देरी की बात स्वीकार की गई है। एफआईआर में ग्राम प्रधान के हवाले से बताया गया है कि भीड़ ने लूटपाट और अन्य घटनाओं को अंजाम दिया।

भीड़ ने गांव पर बोला था धावा
रिपोर्ट में ग्राम प्रधान के हवाले से कहा गया है कि भीड़ एके राइफल, एसएलआर, इंसास और .303 राइफल जैसे घातक हथियार लैस थी। भीड़ ने गांव में धावा बोल दिया। सभी के घरों में तोड़फोड़ की। इसके साथ ही नकदी लूटने के बाद सामान बर्तन और कपड़े जला दिए। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि उन्हें पता था कि गांव संवेदनशील है। 150 निवासियों में से करीब 90 को पुलिस और सुरक्षा कर्मियों ने पहले ही निकाल लिया था। एक अधिकारी ने बताया कि इनमें से अधिकांश ग्रामीण सरकार द्वारा संचालित शिविरों में रह रहे हैं।