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5 साल में 13.5 करोड़ लोग को मोदी सरकार ने गरीबी से बाहर निकले

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नईदिल्ली

नीती आयोग ने नेशनल मल्टीडायमेंशन पॉवर्टी इंडेक्स के तहत बताया है कि पिछले 5 साल में करीब 13.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। यह केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं की वजह से संभव हो पाया है।

भारत में गरीबों की संख्या में कितनी गिरावट हुई

रिपोर्ट के अनुसार केंद्र की मोदी सरकार के कार्यकाल में 2 नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे हुए। इस 5 साल के अंतराल में 13.5 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर निकलने में कामयाब हुए हैं। गरीबों की संख्या में 14.96 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है।

17 जुलाई को आई नीती आयोग की रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 और 2019-20 के बीच देश में गरीबों की संख्या करीब 24.85 प्रतिशत थी, जो अब गिरकर करीब 14.96 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यानि कुल 9.89 प्रतिशत की शानदार गिरावट सामने आई। 17 जुलाई 2013 को नीति आयोग ने राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक में इसका खुलासा किया है।

2030 तक भारत का क्या है लक्ष्य

नीती आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने नई दिल्ली में मीडिया को बताया किया पिछले 5 साल में ही 13.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकलने में कामयाब हुए हैं। कहा कि 2030 तक भारत अपने विकास के लक्ष्यों को निर्धारित करके आगे बढ़ रहा है। हम समय से पहले टार्गेट को पूरा करने में सक्षम हैं।

इन राज्यों में गरीबी के अनुपात में सबसे तेज कमी दर्ज

36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी अनुमान प्रदान करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेज कमी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में देखी गई.
गरीबी कम करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका

रिपोर्ट में कहा गया है कि पोषण में सुधार, स्कूली शिक्षा के वर्षों, स्वच्छता और खाना पकाने के ईंधन ने गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक से मिला सुधार योजनाओं को आकार

बताना चाहेंगे कि राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के आधार पर गरीबी को परिभाषित करने वाला एक समग्र उपाय है और राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर गरीबी का अनुमान लगाता है, जो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए सुधार योजनाओं को आकार देता है.

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभावों को मापता है- जो 12 एसडीजी-संरेखित संकेतकों द्वारा दर्शाया गया है. इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं, इन सभी में उल्लेखनीय सुधार देखे गए हैं.