फर्रुखाबाद
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में एक दिलचस्प मामला देखने को मिला। यहां डोली न घोड़ी, कार न पालकी..दो दुल्हन, दूल्हों के साथ ट्रैक्टर और नाव पर विदा हुईं। गांव में गंगा का पानी घुस आया तो बारातियों समेत दूल्हा-दुल्हन को भी दूर तक पैदल चलना पड़ा। सोमवार रात में विदाई के वक्त अंधेरे में नाव और ट्रैक्टर के जोखिम भरे सफर के साथ उनकी नई जिंदगी शुरू हुई।
कटरी धर्मपुर ग्राम सभा के मजरा पंखियन की मड़ैया इन दिनों बाढ़ के पानी से घिरा है। गांव की सड़कों पर भी पानी बह रहा है। सोमवार को गांव में दो बारातें आनी थीं। पानी के बीच एक बारात नाव तो दूसरी ट्रैक्टर से पहुंची। गांव के ईद मोहम्मद की बेटी नजराना की शादी कंपिल के जटा के हनीफ के बेटे आशिक से तय थी। जब इलाका जलमग्न हो गया तो दोनों ओर से रिश्तेदार बैठे। तय किया कि जो तारीख तय है, उस पर शादी होगी। सोमवार को आशिक बारात लेकर पंखियन की मड़ैया पहुंचे। निकाह के बाद रस्में पूरी होने तक रात के आठ बज चुके थे। आधे बाराती पानी में पैदल चलकर आठ किमी दूर खड़ी बसों तक पहुंचे। सोता नाला पर नाव न मिलने पर दूल्हा-दुल्हन एक घंटे से अधिक समय तक खड़े रहे। एक नाव पहुंची तब दोनों विदा हुए।
दूसरी ओर कमालगंज आजादनगर के इदरीस के बेटे रहीमुद्दीन की शादी पंखियन की मड़ैया के रईस मोहम्मद की बेटी से तय थी। सोमवार को यह बारात भी बाढ़ के पानी के बीच ट्रैक्टरों और नावों से गांव तक पहुंची। 830 बजे बारातियों को पानी में चलकर पैदल जाना पड़ा। दूल्हा-दुल्हन ने बताया कि बाढ़ में ट्रैक्टर से लौटते वक्त वापसी में बहुत डर था। पैदल चलते वक्त दूल्हे ने जूते उतारकर हाथ में पकड़े तो वही बाराती पैंट कंधे पर टांगे नजर आए।