नई दिल्ली
यमुना नदी की बाढ़ के कारण 375 वर्ष पुरानी लालकिले की दीवार को नुकसान पहुंचने की आशंका है। हालांकि, यह जांच के बाद ही पता चलेगा कि दीवार को कितना नुकसान पहुंचा है। बाढ़ का पानी पूरी तरह से उतरने के बाद यह पता लगाने का काम शुरू हो सकेगा। अभी लालकिला के रंग महल, खिजरी दरवाजा की दीवार के पीछे पानी जमा है।
सूत्रों ने बताया कि लालकिले की दीवार की संरचना काफी पुरानी हो चुकी है, जिस तरह से बाढ़ का पानी लालकिले की दीवार से सटकर बह रहा है, उससे नुकसान की भी आशंका है। दरअसल, बाढ़ के पानी के साथ गाद भी बहकर आई है। लालकिले के मोट (खाई) वाले इलाके में अभी भी पानी भरा है। लालकिले की स्थिति को जानने के लिए हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सहित कई दूसरे विभागों के अधिकारियों ने परिसर का दौरा किया है। बाढ़ का पानी पूरी तरह से उतरने के बाद संबंधित अधिकारी आंकलन करेंगे कि दीवार को कोई क्षति तो नहीं पहुंची है। साथ ही लालकिले से चंद कदमों की दूरी पर बने सलीमगढ़ किले की दीवार की भी जांच करेंगे, क्योंकि उस जगह भी बाढ़ पानी जमा हो गया था।
खिजरी दरवाजे पर पानी : सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली चलो पार्क की तरफ बने खिजरी दरवाजे पर 10-12 फीट पानी जमा है। जब लालकिले का निर्माण पूरा हुआ था तब शाहजहां ने पहली बार इसी दरवाजे से लालकिले में प्रवेश किया था। बता दें कि लालकिला का निर्माण 1648 में पूरा हुआ था।
स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारी भी प्रभावित
लालकिले में स्वतंत्रता दिवस की तैयारियां भी चल रही हैं। बाढ़ से वह भी प्रभावित हुई हैं। बाढ़ से उपजी परेशानियों को लेकर कई विभागों को पत्र लिखा गया है, जिससे समय से सभी समस्याओं का निदान किया जा सके। इतिहासकार सोहेल हाशमी ने बताया कि जिस जगह पर हमने अब यमुना नदी को बहते देखा। वहां यमुना और किले के बीच में नदी के किनारे मिट्टी की पट्टी थी। इस पट्टी पर ऊंटों की लड़ाई हुआ करती थी, जिसे शाहजहां किले से देखते थे। इस दृश्य को मुगलकाल को दर्शाने वाली एक मशहूर चित्रकारी में भी देख सकते हैं।