नई दिल्ली
टमाटर के साथ अगर आलू और प्याज के दाम में भी बढ़ोतरी होती है तो चालू वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में खुदरा महंगाई दर छह प्रतिशत तक पहुंच सकती है। यह आशंका एसबीआइ ईकोरैप की रिपोर्ट में जाहिर की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक टमाटर के दाम में बढ़ोतरी को अगर आलू-प्याज का साथ नहीं मिला तो दूसरी तिमाही में महंगाई दर 5.8 प्रतिशत के आसपास रह सकती है।
टमाटर के दाम आसमान पर पहुंच गए
पिछले 10 सालों के आंकड़ों से पता चलता है कि सिर्फ टमाटर की कीमतों में तेजी से कुल महंगाई दर पर खास फर्क नहीं पड़ता है। आलू-प्याज व टमाटर की कीमत खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर को प्रभावित करने में मुख्य भूमिका निभाती है। इस साल जून की खुदरा महंगाई दर 4.81 प्रतिशत दर्ज की गई जबकि मई में यह दर 4.31 प्रतिशत थी।रिपोर्ट के मुताबिक टमाटर की कीमत मौसमी रूप से उसके उत्पादन पर निर्भर करती है।
देश के अधिकांश हिस्से में बाढ़ और बारिश के चलते टमाटर के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। टमाटर का 70 प्रतिशत उत्पादन रबी सीजन यानी अक्टूबर-नवंबर से लेकर मार्च-अप्रैल के बीच होता है, जबकि खरीफ सीजन के दौरान सिर्फ 30 प्रतिशत टमाटर का उत्पादन होता है। इस वजह से जुलाई से लेकर नवंबर तक टमाटर की आपूर्ति पर दबाव रहता है।
जुलाई में हर साल टमाटर की कीमत में बढ़ोतरी होती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दाल की कीमत बढ़ रही है और अगले छह-सात महीने दाल की कीमत अपने उच्चस्तरपर होगी। गत जून में दाल की खुदरा कीमतों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई। सरकार ने दाल की कीमत पर नियंत्रण के लिए स्टाक सीमा को लागू कर दिया है। तुअर दाल को बफर स्टाक से बाजार में भेजने की भी तैयारी है।
खाद्य उत्पादन पर होगा असर
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 12 जुलाई तक मानसून की बारिश सामान्य से दो प्रतिशत अधिक रही, लेकिन दक्षिण के राज्यों में बारिश सामान्य से 23 प्रतिशत कम तो उत्तर-पश्चिम में सामान्य से 59 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। कहीं अधिक तो कहीं कम बारिश से खाद्य उत्पादन पर कम असर होगा, क्योंकि देश के पांच राज्य 50 प्रतिशत खाद्यन्न का उत्पादन करते हैं और उन राज्यों में सामान्य बारिश हुई है।