लखनऊ
लखनऊ की अनु 12वीं की छात्रा हैं लेकिन वह 400 से अधिक लड़कियों की मेंटर भी हैं। उनको उसने सिखाया है कि गुंडे, बदमाशों से कैसे खुद को बचाएं। महिलाओं को आत्म्ररक्षा सिखाने वाले संगठन रेड ब्रिगेड में सेकंड पोजिशन पर हैं। यही नहीं, अनु बालिका गृह में रह रही लड़कियों को सरकार की ओर से प्रशिक्षण देने जा रही हैं। उसी बालिका गृह में जहां कभी खुद रेस्क्यू हो कर आई थीं।
बुंदेलखंड के गुलाबी गैंग की तरह ही रेड ब्रिगेड ने शोहरत पाई है। रेड ब्रिगेड की संस्थापक ऊषा विश्वकर्मा ने बताया कि जब सीतापुर रोड स्थित एक कालोनी में रहने वाली अनु को रेस्क्यू किया गया था तब उसकी उम्र मात्र 12-13 साल की थी। पिता ने दूसरी तो मां ने तीसरी शादी कर ली थी। ऐसे में बच्ची की देखरेख कैसे हो रही होगी समझा जा सकता है। मानवरूपी दंरिदों, भेड़ियों की नजर में अनु खटकने लग गई थी। अनु समझ चुकी थी कि वह ज्यादा दिन सुरक्षित नहीं रह पाएगी। इसी बीच एक रिश्तेदार ने उसे बाल विवाह के नाम पर बेचने की तैयारी कर ली थी। तब अनु को लगा कि अब कुछ करना होगा। वह हिम्मत जुटा कर घर से भाग निकली। मदद के लिए गुहार लगाई।
रात 11:30 बजे किया गया रेस्क्यू
ऊषा विश्वकर्मा ने बताया कि हम लोगों ने रात के 11:30 बजे जब अनु को रेस्क्यू किया तो वह थर थर कांप रही थी। उसे पहले सीडब्ल्यूसी के सामने प्रस्तुत किया गया। वहां से उसको बालिका गृह भेज दिया गया। इसके बाद ऊषा ने अनु का दाखिला कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में कराया।
यूपी के 15 जिलों में वीरांगना वाहिनी बनाएगी रेड ब्रिगेड
ऊषा विश्वकर्मा ने बताया कि उनका संगठन रेड ब्रिगेड अब तक 2 लाख बालिकाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दे चुका है।लखनऊ में 6 हजार लड़कियों को ट्रेनिंग मिली है। इस ब्रिगेड की खास बात यह है कि इस ब्रिगेड में सभी लड़कियां 25 साल से कम उम्र की है। सभी लड़कियां किसी भी अप्रिय स्थिति में मुक़ाबला करने में सक्षम हैं। इस ब्रिगेड की खास बात यह है कि इसमें अधिकतर लड़कियां ऐसी है जिन पर कभी न कभी ऐसी वारदात हुई है जिन्हे सभ्य समाज में जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है। अब यह संगठन उत्तर प्रदेश के लखनऊ समेत 15 जिलों में वीरांगना वाहिनी बनाने जा रहा है। इसमें लखनऊ के माल, मलिहाबाद, बीकेटी के कई गांव शामिल हैं।