Home छत्तीसगढ़ प्रदर्शनकारी स्वास्थ्य कर्मचारियों पर एस्मा लागू, हजारों संविदाकर्मी करेंगे जल सत्याग्रह

प्रदर्शनकारी स्वास्थ्य कर्मचारियों पर एस्मा लागू, हजारों संविदाकर्मी करेंगे जल सत्याग्रह

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 रायपुर .

 स्वास्थ्य कर्मचारियों पर एस्मा लगाए जाने को लेकर डिप्टी सीएम टीएस सिहंदेव का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि, मैं बाहर था मुझे इसकी जानकारी नहीं है। जनहित में बड़े फैसले लेने पड़ते हैं। एस्मा लगा हुआ है तो उसके अंतर्गत कार्रवाई करनी ही पड़ेगी।

प्रदर्शनकारी कर्मचारियों पर लागू किया गया था एस्मा

 बता दें कि, शासन की तरफ से प्रदर्शन-हड़ताल में शामिल स्वास्थ्य विभाग के संविदा नर्स, स्वास्थ्य कर्मी, एंबुलेंस सेवा के कर्मचारी को काम पर लौटने का आदेश जारी करते हुए उनपर एस्मा लागू कर दिया है। इस कदम से प्रदर्शनकारी कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ इस प्रदेशभर में हड़ताली संविदा कर्मियों में सबसे ज्यादा संख्या स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का ही है।

क्या है एस्मा?

 आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्‍मा) हड़ताल को रोकने के लिये लगाया जाता है। विदित हो कि एस्‍मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्‍य दूसरे माध्‍यम से सूचित किया जाता है। एस्‍मा अधिकतम छह महीने के लिये लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध‍ और दण्‍डनीय है।

 दरअसल सरकारें एस्मा लगाने का फैसला इसलिये करती हैं क्योंकि हड़ताल की वजह से लोगों के लिये आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है। जबकि आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून यानी एस्मा वह कानून है, जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये लागू किया जाता है। इसके तहत जिस सेवा पर एस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते, अन्यथा हड़तालियों को छह माह तक की कैद या ढाई सौ रु। दंड अथवा दोनों हो सकते हैं।

कर्मचारी संगठन ने कहा कि संविदा कर्मचारियों के हड़ताल को तोड़ने के लिए सरकार ने एस्मा लागू किया है। इस आदेश के खिलाफ अब संविदाकर्मियों के संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने आज जल सत्याग्रह करने का ऐलान किया है। ये सभी कर्मचारी नवा रायपुर के तूता में अन्य जिलों से भारी संख्या में पहुंचे संविदा कर्मचारियों के साथ जल सत्याग्रह करेंगे।

इस आदेश को लेकर प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के महामंत्री अश्वनी गुर्देकर ने कहा- छत्तीसगढ़ शासन की ओर से प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल और आंदोलनों के लिए एस्मा लगाया गया है। यह शासन का तानाशाह पूर्ण रवैया है। वैसे ही स्वास्थ्य विभाग का काम हमेशा अनिवार्य सेवा के अंतर्गत आता ही है। इसलिए एस्मा लगाया जाना उतना प्रभावशील नहीं होगा कर्मचारियों को इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है।

क्या है सरकारी आदेश में
राज्य सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण और विच्छिन्नता निवारण अधिनियम (एस्मा) 1979 की धारा 4 की उपधारा 1 तथा 2 में मिली शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से संबद्ध समस्त काम और स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यक सेवाओं में काम करने से इनकार किए जाने को प्रतिषेध (बैन) कर दिया है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।

राज्य शासन के गृह विभाग की ओर से मंत्रालय से मंगलवार को जारी आदेश के अनुसार ‘लोक स्वास्थ्य’ (छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग) से संबद्ध समस्त काम और स्वास्थ्य सुविधाओं की अत्यावश्यक सेवाओं में कार्यरत डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी, एम्बुलेंस सेवाओं में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारियों की ओर से काम करने से इनकार किए जाने को बैन कर दिया है।