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बेकार लकड़ियों में जान फूंक देती हैं रजनी, सूखी टहनियों से ड्रिफ्टवुड लैंप बनाकर घर को कर

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लखनऊ

घर को सजाने के लिए महंगी चीजें ही अच्छी होती हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। अगर थोड़ी सी क्रिएटिविटी और मेहनत की जाए तो घर में पड़ी तमाम बेकार चीजों से खूबसूरत और उपयोगी सामान बनाए जा सकते हैं। मेरठ की रजनी अग्रवाल अपने इसी हुनर से पैसे के साथ-साथ सोशल साइट पर भी खूब नाम कमा रही हैं।   

बेकार लकड़ी से बनाए आर्कषक ड्रिफ्टवुड लैंप
रजनी आर्ट एंड क्राफ्ट और पेंटिंग के जरिए वेस्ट मटीरियल से उपयोगी आइटम बनाती हैं। उन्होंने बेकार पड़ी लकड़ियों से  ऐसे आर्कषक ड्रिफ्टवुड लैंप बनाए जो घर में दिन रात जगमगा रहे हैं। उनके बनाए ये सामान लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं।

हिल स्टेशन पर घूमने गईं तो सूखी टहनियां देख आया आइडिया
ड्रिफ्टवुड लैंप बनाने के लिए रजनी पेड़ों की सूखी टहनी का प्रयोग करती हैं। ऐसी टहनियां जिनमें कई छोटी-छोटी शाखाएं निकली होती हैं। वह जब भी बाहर घूमने जाती हैं, तो बेकार पड़ी ऐसी टहनियों को ले आती हैं। उनका कहना है कि अक्सर हिल स्टेशन घूमने गए तो वहां पर ऐसी लकड़ियां खूब देखने को मिलीं, जोकि लोगों के लिए किसी काम की नहीं थी। ऐसे में इनका इस्तेमाल करने के बारे में सोचा और इन्हें घर ले आई। थोड़ा दिमाग लगाया तो इन्हें ड्रिफ्टवुड लैंप का रूप दे दिया। ऐसे ही कई खूबसूरत और उपयोगी सामान इन लकड़ियों से तैयार कर दिए।

 रंगबिरंगी लाइटों से लगा देती हैं सुंदरता में चार चांद
रजनी इन सामानों को सुंदरता देने के लिए उसमें रंगबिरंगी लाइटों और आर्टिफिशियल फूल का भी इस्तेमाल करती हैं। लाल, हरी, पीली हर तरह की लाइट को लगाकर अलग अलग स्विच भी लगाती हैं, ताकि दिन रात व मौसम के अनुसार लैंप को जलाया जा सके। इसके अलावा आर्टिफिशियल फ्लॉवर, कोई भी सुंदर व अच्छा संदेश देने वाली मूर्ति लगाकर उसे बेहद सुंदर बना देती हैं।  

बच्चे और युवा लेने आते हैं टिप्स
रजनी बेकार लकड़ी के अलावा वेस्ट मटीरियल से भी कई आइटम बनाती हैं। बेकार बोतल, कागज, गत्ते, कपड़े आदि से वह आकर्षक चीजें बनाती हैं। इनकी यह कला खूब पसंद की जा रही है। आसपास रहने वाले घरों के बच्चे और युवा उनसे ऐसे सामान बनाने की टिप्स लेने आते हैं। गर्मी की छुट्टियों में तो काफी बच्चे उनसे ऐसे सामान बनाना सीखने आते हैं।

पैसा नहीं, शौक पूरा करने के लिए करती हैं काम
रजनी का कहना है कि वह इन सामानों को बाजार में या दुकानों पर बेचती नहीं। वह अपना शौक पूरा करने के लिए इसे बनाती हैं। कई बार किसी रिश्तेदार या जानने वाले के विशेष आग्रह पर वह उसके लिए ऐसे आयटम तैयार कर देती हैं। उनका कहना है बच्चों को इन सामानों को बनाने के लिए सिखाने में भी उन्हें अच्छा लगता है।