नई दिल्ली
अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी के मणिपुर पर दिए बयान को लेकर कांग्रेस के विरोध का स्वर बुलंद हो गया है। पार्टी ने कहा है कि केंद्र सरकार अमेरिकी राजदूत को तलब कर उनके बयान पर कड़ा विरोध जताए और कहे कि मणिपुर में हो रही घटनाएं भारत का आंतरिक मामला है और उसमें अमेरिका की कोई भूमिका उसे स्वीकार नहीं है। मणिपुर में शांति बहाल करना केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, उसमें किसी अन्य की भूमिका स्वीकार नहीं की जा सकती है। विदित हो कि मणिपुर में तीन मई से रह-रहकर हिंसक घटनाएं हो रही हैं। इससे पहले कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि भारत ने बीते समय में विभिन्न मोर्चों पर कई तरह की समस्याओं का सामना किया है, लेकिन आंतरिक मामलों में कभी भी इस तरह के बयान को स्वीकार नहीं किया गया। उन्होंने राजदूत के बयान को भारत के आंतरिक मामले में अमेरिका का हस्तक्षेप बताया।
'नस्लभेद के चलते US में होते हैं दंगे'
अमेरिका में लाइसेंस मुक्त हथियारों से होने वाली हिंसक घटनाओं का उल्लेख करते हुए तिवारी ने कहा, हमने तो कभी नहीं कहा कि अमेरिका को इस मामले में हमसे सीखना चाहिए। अमेरिका में अक्सर नस्लभेद के चलते हिंसा और दंगे होते हैं, लेकिन भारत ने कभी भी उसे अहिंसा का पाठ नहीं पढ़ाया। गार्सेटी ने गुरुवार को कोलकाता में मणिपुर में जारी हिंसा पर चिंता जताते हुए उसे भारत का आंतरिक मामला बताया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका वहां शांति के लिए प्रार्थना करता है, लेकिन यह भी कहा था कि भारत अगर समस्या के निदान में किसी भी तरह की मदद मांगेगा तो अमेरिका उसे देने के लिए तैयार है।
अमेरिकी राजदूत ने गुरुवार को कहा था कि भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में काफी विकास हुआ है और विकास के लिए शांति जरूरी है। जब शांति रहती है तब बहुत सारी अच्छी चीजें पैदा होती हैं। गार्सेटी ने मणिपुर के बारे में संवाददाता सम्मेलन में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में यह बात कही थी।