लखनऊ
PCS अधिकारी ज्योति मौर्य और उनके पति आलोक मौर्य का विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। घरों से लेकर मीडिया और गली-नुक्कड़ तक इस प्रकरण की खूब चर्चा हो रही है। किसी को आलोक का दर्द दिख रहा है तो कोई ज्योति को सही बता रहा है। इस बीच ज्योति से अफेयर को लेकर चर्चाओं में आए जिला होमगार्ड कमांडेंट मनीष दुबे ने पहली बार इस प्रकरण पर कुछ कहा है। उन्होंने ऑन कैमरा बयान देने से इनकार कर दिया तो एक निजी चैनल ने छिपे हुए कैमरे से उनके बयान को रिकॉर्ड कर लिया। इस बयान में मनीष यह कहते सुनाई पड़ रहे हैं कि जो व्यक्ति (ज्योति मौर्य के पति आलोक मौर्य) पढ़ाने लिखाने का दावा कर रहा है वो यह तक नहीं बता सकता कि यूपीएससी में कितने पेपर होते हैं। मनीष दुबे इस रिकॉडिंग में अपनी परेशानी जाहिर करते भी नज़र आए। मनीष दुबे ने कहा, 'उसे ये नहीं पता होगा कि कितने पेपर होते हैं। पढ़ाया-लिखाया का मतलब बचपन से पढ़ाया-लिखाया। हम जहां बैठे हैं वहां कोई बना सकता है क्या। जो कहता फिर रहा है कि पढ़ाया लिखाया, वो नहीं बता सकता कि मेन्स में कितने पेपर होते हैं, आब्शनल में कितने होते हैं। वो यह नहीं बता पाएगा।'
यूपीएससी करना गुनाह हो गया?
होमगार्ड कमांडेंट ने आगे कहा कि इस इस मामले को क्यों इतना बढ़ा-चढ़ा दिया गया मैं नहीं जानता। न ही कुछ बता सकता हूं। यही यदि हम नार्मल स्कूल टीचर या क्लर्क होते तो यह कोई खबर नहीं होती। हमारा यहां बैठना लग रहा है गुनाह हो गया। हम लोगों ने यूपीएससी की तैयारी की वो बड़ा गुनाह का काम किया।
साफ्टवेयर इंजीनियर था…कहां आकर फंस गया
मनीष ने कहा, 'मैं एक साफ्टवेयर इंजीनियर था। प्राइवेट सेक्टर में था। अब ये लग रहा है कि फालतू में मैं यहां आकर फंस गया। अच्छा खासा मैं 2016 में जेआरएफ हुआ। पीएचडी के लिए अभी भी प्रोफेसर मुझे बुलाते हैं। मेरा मन भी है पीएचडी करने का। मैं अप्लाई करने भी जा रहा हूं। मुझे लगता है कि कहां आकर फंस गया। इससे अच्छा तो मैं दूर रहता। सीधी-साधी मीडियाकर फैमिली से बिलांग करता हूं। पिताजी मेरे….इन सब चीजों को कभी मेरे घर में…।'
पहले ही ज्योति या हमसे पूछ लेते
मनीष ने आलोक मौर्य का नाम न लेते हुए कहा कि जब ये स्टार्टिंग में आया था तभी हम लोगों से पूछ लिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, 'ज्योति से पूछ लिया जाता…या मुझसे पूछ लिया जाता। ऐसा नहीं है कि मैने बात नहीं की।' हालांकि उन्होंने फिर यह भी जोड़ा, 'हम ऑन कैमरा ये सब नहीं बोल सकते। ये हमारी मजबूरी है। ये हमारे कंडक्ट रूल में आता है। एक गजटेड ऑफिसर इस तरह से नहीं बोल सकता क्योंकि मैं एक जिम्मेदार पद पर हूं। नान गजटेड कर्मचारी बोल लेगा उसको कुछ नहीं होगा।'