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रूस से पिछले करीब डेढ़ साल से जंग लड़ रहे यूक्रेन की सेना को अब अमेरिका घातक क्लस्टर बम देने जा रहा है। क्लस्टर बम की मानवता के खिलाफ विनाशक क्षमता को देखते हुए 120 से ज्यादा देशों ने इस पर बैन लगा रखा है। खबरों में बताया जा रहा है कि अमेरिका जिस बम को देने जा रहा है, उसे 155 एमएम की तोप से भी दागा जा सकता है। अमेरिका के तीन अधिकारियों ने क्लस्टर बम देने की पुष्टि की है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने खुद क्लस्टर बम को यूक्रेन को देने की सिफारिश की है। क्लस्टर बम को इंसानियत के खिलाफ माना जाता है और अब अमेरिकी फैसले से कई सवाल उठ रहे हैं।
दरअसल, क्लस्टर बम एक कनस्तर के अंदर भरे होते हैं। क्लस्टर बम के फटने के बाद हजारों की तादाद में छोटे-छोटे बम इससे निकलते हैं और काफी व्यापक इलाके में फैल जाते हैं। इनमें से कई ऐसे होते हैं जो फटते नहीं हैं। इससे वहां रहने वाले या वहां से गुजरने वाले आम नागरिक अक्सर इसकी चपेट में आ जाते हैं। यही नहीं यह आम नागरिकों के शिकार होने का सिलसिला युद्ध और उसके बाद भी जारी रहता है। इसका बड़ा उदाहरण अफगानिस्तान है जो क्लस्टर बम से पटा पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र और अफगान सरकार ने करोड़ों रुपये इन क्लस्टर बम को हटाने पर केवल खर्च डाला है।
अमेरिका ने क्लस्टर बम के समझौते पर साइन नहीं किया
साल 2008 में 120 से ज्यादा देशों ने संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन में क्लस्टर बम पर बैन लगाने वाले समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इसमें कुछ ऐसे भी देश (फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देश) हैं जो यूक्रेन और अमेरिका के प्रमुख सहयोगी हैं। यूक्रेन, अमेरिका और रूस तीनों ही देशों ने क्लस्टर बम को बैन करने वाले समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया है। हालांकि 2009 में एक कानून बना था जो अमेरिका को 1 प्रतिशत से ज्यादा असफल रहने वाले क्लस्टर बम के निर्यात से रोकता है। विश्लेषकों के मुताबिक इसमें अमेरिका का पूरा क्लस्टर बम का जखीरा आ जाता है।
यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि रूस पहले से ही इस बम का इस्तेमाल कर रहा है। इस क्लस्टर बम को विमान, मिसाइल और तोप के गोले से दागा जा सकता है। इस बीच यूक्रेन में भीषण युद्ध का दौर जारी है। यूक्रेन के पश्चिमी शहर ल्वीव में रूस के मिसाइल हमले में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई, जबकि लगभग 36 अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि यह पिछले साल यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद ल्वीव के असैन्य इलाकों को निशाना बनाकर किए गए सबसे भीषण हमलों में एक था। अधिकारियों के अनुसार, गुरुवार रात क्रूज मिसाइल से किए गए इस हमले से ध्वस्त हुई इमारत में श्वान दस्ते के साथ पहुंचे आपातकर्मियों ने मलबे को हटाया और लोगों को बाहर निकाला।
'महिला द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सुरक्षित बच गई थी'
अधिकारियों ने बताया कि हमले में इमारत की छत और ऊपरी दो मंजिलें ध्वस्त हो गईं, जिससे कम से कम 36 लोग घायल हो गए। ल्वीव के प्रांतीय गवर्नर मैक्सिम कोजित्स्की ने कहा कि घटना में मारे गए लोगों में सबसे कम उम्र का 21 वर्षीय व्यक्ति और सबसे बुजुर्ग 95 साल की एक महिला शामिल थी। कोजित्स्की ने कहा, ‘यह महिला द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सुरक्षित बच गई थी, लेकिन दुर्भाग्य से वह यूक्रेन पर रूस के हमले में नहीं बच सकी।’ ल्वीव के मेयर आंद्री सादोवयी ने कहा कि बृहस्पतिवार देर रात को महिला का शव बाहर निकाला गया, जिससे मृतक संख्या बढ़कर छह हो गई।