सावन माह का प्रारंभ हो चुका है. सावन माह हो, सावन सोमवार हो या फिर शिवजी का कोई प्रिय दिन, उस रोज पूजा में हम बेलपत्र अवश्य ही अर्पित करते हैं. शिव जी को बेलपत्र अतिप्रिय है क्योंकि यह उनको शीतलता प्रदान करता है. बेलपत्र के बिना शिव जी की पूजा अधूरी है. कई बार हम बिना जाने ही बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ा देते हैं. बेलपत्र को तोड़ने का नियम है और शिवलिंग पर बेलपत्र को चढ़ाने की एक विधि है, जिसमें मंत्र पढ़ते हैं. बेलपत्र चढ़ाने के कई फायदे भी होते हैं. बेलपत्र चढ़ाने की सही विधि.
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की सही विधि
जब भी आप शिवजी की पूजा करने जाएं तो उससे पहले बेलपत्र को अच्छे से साफ पानी से धो लें. फिर बेलपत्र की चिकनी सतह को शिवलिंग से स्पर्श कराकर अर्पित करें. इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करें. इसके अलावा बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र भी है.
बेलपत्र 3 पत्तियों वाला हो और वो साबुत हो यानि कटा-फटा न हो. उस पर कोई दाग-धब्बा भी न हो और न ही वो मुरझाया हो. 1, 5, 11, 21 आदि संख्या में बेलपत्र शिवजी को चढ़ाते हैं. यदि बेलपत्र आपके पास नहीं है तो शिवलिंग पर चढ़ाएं गए बेलपत्र को धोकर भी चढ़ा सकते हैं.
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र
नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो
दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥
दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम् पापनाशनम्।
अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्॥
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥
अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्।
कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्॥
गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर।
सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय॥
बेलपत्र तोड़ने का नियम
यदि आप शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र तोड़ रहे हैं तो सबसे पहले बेल वृक्ष को प्रणाम कर लें. उसके बाद केवल बेलपत्र ही तोड़ें. तिथि के समापन और प्रारंभ के बीच वाले समय में बेलपत्र न तोड़ें. विशेषकर अष्टमी, नवमी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या और सोमवार के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए.