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बच्चों का पालन-पोषण जैविक परिवार के बीच हो इसके लिए महिला बाल विकास ने औद्योगिक संघों से मांगी आर्थिक मदद

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भोपाल

कोविड में माता-पिता को खोने वाले, मुक्त कराए बच्चे, बाल देखरेख संस्थाओं में रहने वाले बच्चे और आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग परिवार के बच्चों का पालन-पोषण बच्चों के जैविक परिवार के बीच हो। वे परिवार के साथ खुशनुमा वातावरण में प्यार और सम्मान से जिंदगी बिताए इसके लिए अब महिला बाल विकास विभाग ने सभी औद्योगिक संघों के अध्यक्ष, सचिवों, चैंबर्स आफ कामर्स, व्यापारिक संघ के अध्यक्ष, सचिवों से निजी स्पांसरशिप के अंतर्गत आर्थिक मदद मांगी है।

परिवार तथा परिवार का माहौल बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बहुत जरूरी है। देखरेख की आवश्यकता एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों का परिवार में पालन पोषण देखरेख किए जाने और बच्चों को संस्था में जाने से रोकने के लिए भारत सरकार ने मिशन वात्सल्य के दिशा निर्देश जारी किए है।

इसमें देखरेख की आवश्यकता वाले बच्चों को निजी स्पॉंसरशिप के माध्यम से सहायता प्रदान करने के प्रावधान भी शामिल किए गए है।  इसके तहत बच्चों को उनके जैविक परिवार से अलग होने से रोका जाएगा। बाल देखरेख संस्था में रहने वाले बच्चे, मुक्त कराये गये बच्चों को उनके जैविक परिवार में भेजकर पुनर्वासित करने और उनका समग्र विकास किया जाएगा। बाल देखरेख संस्था, परिवार में बाल देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों का सम्र विकास करने सहायता प्रदान की जाएगी।

सामाजिक रूप से सक्षम परिवारों का सहयोग जरूरी
सामाजिक रूप से सक्षम परिवारों द्वारा आर्थिक रुप से कमजोर परिवार के, बाल देखरेख संस्था में रहने वाले बच्चों के विकास में सहयोग से जोड़ा जाएगा। राज्य सरकार ऐसे प्रत्येक बच्चे के लिए चार हजार रुपए बच्चे के माता-पिता या संरक्षक को प्रदान करती है। कोविड महामारी के दौरान और अन्य कारणों से जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में आये बच्चों की सहायता के लिए सरकार के साथ ही समाज का सहयोग भी जरूरी है।