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कांग्रेस गहलोत के चेहरे पर चुनाव क्यों नहीं लड़ना चाहती? सचिन पायलट का दबाव या रणनीति

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जयपुर
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार के विधानसभा चुनाव में सीएम फेस नहीं होंगे। कांग्रेस पार्टी बिना चेहरे के ही विधानसभा चुनाव में जनता के बीच जाएगी। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट के दबाव में गहलोत को सीएम फेस घोषित नहीं करने का निर्णय लिया है। इससे पहले दो विधानसभा चुनाव सीएम गहलोत के चेहरे पर ही लड़े गए थे। गहलोत के मुख्यमंत्री रहते पार्टी 2 बार चुनाव हार चुकी है। राजनीतिक विश्लेषकों का तर्क है कि गहलोत को अगर कांग्रेस आगे करती है तो गुर्जर समेत कई जातियों के वोट खिसकने का डर था। 2018 के चुनाव में बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले गुर्जर समुदाय ने कांग्रेस के पक्ष में जमकर वोट किया था। राज्य में 30-40 सीटों पर गुर्जर समुदाय का प्रभाव है।

सचिन पायलट की प्रेशर पॉलिटिक्स
बता दें, कि कई महीने पहले एआईसीसी ने एक वीडियो शेयर कर गहलोत सरकार की उपलब्धियों का बखान किया था। संकेत यही था कि चुनाव सीएम गहलोत के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। सीएम गहलोत भी कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री के चेहरे पर ही विधानसभा चुनाव लड़ा जाता है, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने अब बिना सीएम फेस ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। गुरुवार को कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल का कहना है कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व में नहीं लड़ा जाएगा। कांग्रेस पार्टी सामूहिकता पर चुनाव लड़ती है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में हुई बैठक में कांग्रेत की करीब 30 नेताओं के साथ मंत्रणा के बाद वेणुगोपाल ने प्रेस वार्ता में साफ कहा कि गहलोत सीएम चेहरा नहीं होंगे। सियासी जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट की नाराजगी दूर करने के लिए ही यह निर्णय लिया है। सचिन पायलट की प्रेशर पॉलिटिक्स काम आ गई है।

पूर्वी राजस्थान में मिल सकता है सियासी लाभ

गुरुवार को सचिन पायलट ने दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए साफ कहा कि उनकी बातों को गंभीरता से लिया है। मिलकर चुनाव लड़ेंगे। सरकार रिपीट होगी। सचिन पायलट 2013 चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद राजस्थान के अध्यक्ष बनाकर दिल्ली से भेजे गए थे। इसके बाद पायलट राजस्थान में ही हैं। अध्यक्ष रहते पायलट ने वसुंधरा के गढ़ पूर्वी राजस्थान में मजबूत पकड़ बना ली। पूर्वी राजस्थान के 8 जिले दौसा, करौली, भरतपुर, टोंक, जयपुर, अलवर, सवाई माधोपुर और धौलपुर में विधानसभा की कुल 58 सीटें हैं। गहलोत को सीएम फेस घोषित नहीं करने का लाभ पार्टी को मिल सकता है। पायलट ने 2018 में सेंध लगाते हुए बीजेपी को 11 पर समेट दिया। कांग्रेस को 2018 में पूर्वी राजस्थान में 44 सीटें मिली थी। पायलट समर्थक अधिकांश विधायक इसी क्षेत्र से आते हैं।