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UP के प्राइवेट अस्पताल में इलाज के नाम पर फर्जीवाड़ा, डॉक्टर की फर्जीवाड़े की करतूत से पुलिस भी दंग

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 यूपी
यूपी में प्राइवेट अस्पताल में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। डॉक्टर की करतूत को जानकर पुलिस भी हैरान रह गई है। पुलिस के केस दर्ज डॉक्टर और प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि पूर्व में क्लीनिक भी सील हो चुका है।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के एक कार्डियक सर्जन के दस्तावेज लगाकर यूपी के कुशीनगर में अस्पताल खोल दिया गया। एक महिला की डिलीवरी के दौरान सर्जरी में लापरवाही पर पुलिस जांच में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। पुलिस की ओर से संपर्क किए जाने पर जिला अस्पताल कोरोनेशन की कार्डियक यूनिट मेडिट्रीना में तैनात सर्जन डॉ. विकास सिंह कुशीनगर पहुंचे।

डॉ. सिंह ने पुलिस के उच्चाधिकारियों को फर्जीवाड़े से अवगत कराया। सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की गई। जिस हाटा क्षेत्र में यह अस्पताल खोला गया, वे कभी वहां गए ही नहीं। मूलत गाजियाबाद के डॉ. विकास एक साल से देहरादून में तैनात हैं। उन्होंने पुलिस उच्चाधिकारियों को पूरी स्थिति से अवगत कराया है और सभी साक्ष्य उपलब्ध कराए हैं। एमबीबीएस के दस्तावेज बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर से निकाले गए और उन पर नकली हस्ताक्षर से हाटा के सुकरौली, पिपरा उर्फ तितिला में अनुष्का नाम से अस्पताल खोला गया। डॉ. विकास ने बीआरडी कॉलेज से 2010-2013 तक एमएस-सर्जरी की थी। इसके बाद वे कई जगह सेवाएं देते रहे।

बहत्तर हजार रुपये में हासिल किए दस्तावेज
डॉ. विकास ने बताया कि पुलिस जांच अधिकारी प्रदीप कुमार के सामने इस प्रकरण में एक आरोपी ने स्वीकारा कि एक व्यक्ति के माध्यम से एक डॉक्टर की ओर से 72 हजार रुपये में मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में दस्तावेज उपलब्ध कराए गए। इसके बाद अपने ईमेल, मोबाइल नंबर, फर्जी शपथ पत्र और हस्ताक्षर से पांच साल पूर्व पंजीकरण करवा लिया। स्वास्थ्य विभाग पर यह सवाल उठ रहे कि सत्यापन के लिए डॉ. विकास से संपर्क क्यों नहीं किया गया। जिस डॉक्टर का नाम फर्जीवाड़े से जुड़ा, वह 2018 में भी फर्जी तरीके से पंजीकरण में गिरफ्तार हुआ था।

अस्पताल पर हो चुकी कार्रवाई
सितंबर 2022 में डॉ. एके गौतम और डॉ. प्रीति सिंह समेत अनुष्का अस्पताल पर सुकरौली के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. स्वप्निल श्रीवास्तव ने मुकदमा कराया था। आरोप था कि चंद्रकेश सिंह की पत्नी अदिति के पेट में कॉटन छोड़ दिया था। इस अस्पताल को शिकायत सही पाए जाने पर सील कर दिया गया था।

अस्पताल पंजीकरण में बायोमीट्रिक सिस्टम लागू हो
डॉ. विकास ने उच्चाधिकारियों को शिकायत में कहा कि उनके कागज फर्जी तरीके से लगाने से छवि धूमिल हुई। उन्हें दून से कुशीनगर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। उन्होंने अस्पताल चलाने वाले, सत्यापन बिना पंजीकरण करने वाले अफसरों एवं बीआरडी मेडिकल कॉलेज के गोपनीय विभाग पर कार्रवाई की मांग उठाई।

साथ ही, पंजीकरण में बायोमीट्रिक सत्यापन का भी सुझाव दिया है। उन्होंने 2016-2021 तक केजीएमयू से कार्डियो थोरेसिक सर्जरी में एमसीएच भी किया था। बीआरडी कॉलेज में दाखिले एवं एमसीआई निरीक्षण के वक्त अस्थाई प्रमाण पत्र दिए थे।