नई दिल्ली
समान नागरिक संहिता को जल्दी से पूरे देश में लागू करना चाहिए। इस फैसले में भले ही देरी हो रही है, लेकिन यह देश हित में है। केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने यह बात कही है। शाहबानो मामले में कांग्रेस सरकार से इस्तीफा देने वाले आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि समान नागरिक संहिता जरूरी है और इसका आर्टिकल 44 में भी जिक्र किया गया है। उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि कानून का इस बात से कोई मतलब नहीं है कि आप कैसे शादी करते हैं। फेरे कराते हैं या फिर निकाह होता है या गुरुद्वारे में शादी करते हैं। कानून की समानता का अर्थ है कि एक जैसी स्थितियों में दो लोगों के साथ अलग-अलग न्याय ना हो।
उन्होंने कहा कि सभी के लिए कानून की एक ही परिभाषा हो, यह जरूरी है। गवर्नर ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 44 में इस बात का जिक्र है कि सरकार कानून बनाते वक्त समानता का ख्याल रखा जाए। इसके अलावा सरकार समान नागरिक संहिता लाने का प्रयास करे। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि यदि मुसलमान शख्स पत्नी को मेहर देता है तो उससे कानून से कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन किसी अपराध की स्थिति या फिर बुनियादी अधिकारों के मामले में तो सभी को समानता का हक मिलना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 14 भी न्याय की समानता की बात करता है। समान नागरिक संहिता भी इसी की बात करेगी।
तीन तलाक पर कानून से मिला महिलाओं को फायदा, भविष्य सुरक्षित
राज्यपाल ने कहा कि समान नागरिक संहिता से गोद लिए जाने वाले बच्चों को भी फायदा मिलेगा। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि कानून रीति-रिवाज को नहीं मानता। वह समान नजर से सभी को देखता है। आरिफ मोहम्मद ने इस दौरान यह भी कहा कि कई ऐसी चीजें हैं, जो कुरान में भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हलाल जैसी कुप्रथा का जिक्र कुरान में नहीं है।
'कानून यह ना पूछे कि तुम कौन से मुसलमान हो, वह सिर्फ न्याय करे'
इसके अलावा उन्होंने कहा कि तीन तलाक पर कानून बनने से महिलाओं और उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहेगा। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि पूरे देश में जल्दी से जल्दी समान नागरिक संहिता को लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कानून का मतलब यह है कि जब मेरा केस अदालत जाए तो यह ना पूछा जाए कि आप कौन से मुसलमान हो। कानून के सामने सिर्फ न्याय की समानता होनी चाहिए।