नई दिल्ली
महाराष्ट्र में जारी सियासी उथल पुथल के बीच विपक्ष की बैठक की नई तारीख का ऐलान हो गया है। पार्टियां अब 17-18 जुलाई को मंथन करने जा रही हैं। कहा जा रहा है कि आगामी बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में हुई फूट का असर भी देखने को मिल सकता है। साथ ही संभावनाएं जताई जा रही हैं कि एनसीपी की स्थिति को देखते हुए दल बैठक का एजेंडा ही बदलने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, इसे लेकर विपक्षी दलों की ओर से कुछ नहीं कहा गया है। सूत्रों के हवाले से कहा गया कि एनसीपी में हुए संकट से पहले विपक्ष का ध्यान बैठक के जरिए CMP यानी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय करना था। साथ ही पार्टियां 2024 चुनाव से पहले भाजपा के पहले जातिगत जनगणना, अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला जैसे मुद्दों को उठाते हुए नारा तैयार करने पर विचार कर रही थीं।
कैसे बदली स्थिति
कहा जा रहा है कि कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में होने वाली बैठक में बड़ा मुद्दा यह होगा कि भाजपा किस तरह दलों को तोड़ने और नेताओं को अपने साथ शामिल करने की कोशिश कर रही है। खबर है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता राहुल गांधी ने दिग्गज नेता शरद पवार से बात कर इसे मुद्दा बनाने और साथ देने की बात कही है।
रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि बैठक में एनसीपी की स्थिति पर चर्चा की जाएगी। साथ ही एक रणनीति पर काम किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विपक्षी एकता में शामिल दल टूटे नहीं। दरअसल, सियासी गलियारों में चर्चाएं हैं कि बिहार में भी महाराष्ट्र जैसी स्थिति बन सकती है। खुद भाजपा के ही नेता इसके संकेत दे चुके हैं।
एनसीपी में बगावत
सीनियर पवार के भतीजे अजित रविवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए। साथ ही उन्हें महाराष्ट्र का उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। एक ओर जहां अजित गुट की तरफ से 30 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा किया जा रहा है। वहीं, शरद पवार कैंप का कहना है कि सिर्फ 9 विधायकों ने दल बदला है और अन्य अब भी उनके ही साथ हैं।