मुंबई
बॉलीवुड के ‘महानायक’ अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या नवेली नंदा भले ही शोबिज की दुनिया से दूर रहती हैं, लेकिन उनकी फैन फॉलोइंग किसी स्टार से कम नहीं है। पिछले कई दिनों से उनका नाम एक्टर सिद्धांत चतुवेर्दी संग जुड़ रहा था। जब बीते दिनों दोनों को डिनर डेट और एयरपोर्ट पर साथ देखा गया तो एक बार फिर नव्या चर्चा में आ गईं। अब उन्होंने एक इंटरव्यू में हेल्थ केयर, लीगल अवेयरनेस और डोमेस्टिक वायलेंस जैसे गंभीर विषय पर बात की है और फैंस उनकी हिंदी से बहुत इंप्रेस हो गए हैं।
इस इंटरव्यू का टीजर सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। नव्या नवेली नंदा, श्वेता बच्चन और बिजनेसमैन निखिल नंदा की बेटी हैं। उनकी उम्र महज 25 साल है, लेकिन वो सोशल वर्क से जुड़ी हुई हैं। नव्या उस हेल्थ-टेक कंपनी की फाउंडर भी हैं, जो वुमेन-सेंट्रिक है। इस वीडियो में नव्या नवेली नंदा ये बता रही हैं कि आजकल के जेनरेशन के बच्चों को लेकर ये सोचा जाता है कि उन्हें कुछ नहीं आता, लेकिन ऐसा नहीं है, आजकल के बच्चों के पास बहुत ज्ञान है। वो कहती हैं, एक चीज में बार-बार सुनती हूं कि आप बहुत यंग हो। आप लोगों के पास एक्सपीरियंस नहीं है। तो वो हमेशा एक सवाल आता है कि अरे आप सिर्फ 25 साल की हो, आपको क्या एक्सपीरियंस है लाइफ के बारे में! तो आप कैसे इन चीजों के बारे में काम कर सकते हो। हेल्थ केयर, लीगल अवेयरनेस, डोमेस्टिक वायलेंस। नव्या आगे कहती हैं, मैं हमेशा सोचती हूं कि अरे अगर मैं 80 साल तक रुक जाऊं, कुछ करने के लिए तो दुनिया का क्या होगा? अगर हम सब।
हमारी कम से कम मेजॉरिटी इस देश की 80 प्रतिशत जो लोग हैं, हमारी एज ग्रुप के हैं ना। 20 से 30 साल के बीच। अगर हम सब 50 साल तक वेट कर लें, कुछ करने के लिए तो इस पीढ़ी का क्या होगा, इस जेनरेशन का क्या होगा। बदलाव कौन लाएगा। आजकल मुझे लगता है कि ये जो नई पीढ़ी आई है बच्चों की, उनको इतना ज्ञान है, इतनी कम उम्र में। तो हमें अंडर एस्टीमेट भी नहीं करना चाहिए। हम बहुत कैपेबल (सक्षम) हैं। अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या की बातों और उनकी हिंदी ने लोगों को इंप्रेस कर दिया है। उनके वीडियो पर लोग खूब कॉमेंट कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वो इकलौती स्टार किड हैं, जिनके पास दिमाग है। एक यूजर ने लिखा, बॉलीवुड से कोई, जिसके पास वाकई में नॉलेज है। कुछ लोग नव्या की हिंदी से इंप्रेस होकर बोले, नव्या की हिंदी बहुत अमेजिंग है। ऐसे ही अच्छा काम करते रहें। मुझे उन माता-पिता का नहीं समझ आता, जो अपने बच्चों को कम से कम अपनी मातृभाषा नहीं सिखाते।