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बीआरसीसी और डीपीसी की स्थापना देखने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होना चाहिए: त्रिपाठी

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–अधिकांश जिलों में पूर्व से कार्यरत लोगों को मौका, कई जिलों में नियमों का उल्लंघन

भोपाल

प्रदेश में परीक्षा के माध्यम से जिन बीआरसीसी और बीएसी की प्रतिनियुक्ति का क्रम तैयार किया गया है। वह सवालों के घेरे में आ गया है। परीक्षा में पूरे प्रदेश के अधिकांश वही अभ्यार्थी बीआरसीसी और एपीसी के लिए परीक्षा पर चयनित हुए हैं जो पहले से यह पद संभालते आ रहे हैं। इस प्रकार से कहा जाए तो पूर्व की तरह ही अपनों को उपकृत करने का यह एक नया रास्ता है। नाम जरूर परीक्षा के माध्यम से पारदर्शिता का दिया गया हो लेकिन इस प्रक्रिया में सिस्टम के अपने स्वार्थ भी छिपे हुए हैं। प्रदेश में शिक्षकों का कहना है कि राज्य शिक्षा केंद्र ने जरूर परीक्षा करवाई हो। लेकिन अधिकांश जिले में बीआरसीसी इम्तिहान में सफल रहे जो पहले से ही प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं। अनेक जिलों में ऐसे बीआरसीसी हैं जो 10 साल से नियम विरुद्ध काम कर रहे हैं। शिक्षकों के अनुसार राज्य शिक्षा केंद्र ने परीक्षा के लिए अपने मतलब का विज्ञापन जारी किया। जबकि इस में स्थित होना चाहिए थी कि जो बीआरसीसी 3 साल काम कर चुके हैं उन्हें भी आवेदन करने का कोई हक नहीं रहेगा जैसा कि 55 वर्ष से कम आयु के अभ्यर्थियों को आवेदन करने का मौका दिया गया। प्रदेश भर में शिक्षकों का कहना है कि राज शिक्षा केंद्र अगर पूर्व से कार्यरत बीआरसीसी को परीक्षा में बैठाया है और भी पास हो गए हैं तो उन्हें उसी जिले में काम करने का अवसर नहीं मिलना चाहिए। ऐसे बीआरसीसी को दूसरे जिलों में भेजा जाना चाहिए। संभव हो सके तो इनकी जगह दूसरों को मौका मिलना चाहिए। इसकी फिर से परीक्षा का आयोजन होना चाहिए। मध्य प्रदेश शिक्षक कांग्रेस के संरक्षक रामनरेश त्रिपाठी कहते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्र ने पूरी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था बर्बाद करके रख दी है। शिक्षक का मूल कार्य स्कूलों में पदस्थ होकर बच्चों का सुनहरा भविष्य बनाना है लेकिन अब हर शिक्षक बीआरसीसी बनना चाह रहा है। कारण है कि यह व्यवस्था शुरुआत से ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही है। जो बीआरसीसी 3 साल काम कर लेता है वह मानवीय आधार पर स्कूल नहीं जाना चाहता है। उसका लोभ और लालच इतना बढ़ रहा है कि पूरा जीवन भर इसी पद पर निकाले। उन्होंने मांग की है कि राज्य शिक्षा केंद्र में बीआरसीसी और डीपीसी की स्थापना देखने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होना चाहिए।