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शिक्षा विभाग में छिड़ा संग्राम, भदोरिया ने सरकार को लिखा पत्र, कहा यह भेदभाव आखिर क्यों, पुनरीक्षित डीपीसी मांगी

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–पहले भी विधायकों के माध्यम से यह समस्या शिक्षा मंत्री और सीएम तक पहुंचाई गई

भोपाल
शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अधिकारियों को आसानी से प्रमोशन और निचले पदों की उपेक्षा को लेकर संग्राम छिड़ गया है। आरोप है कि यह सीधा भेदभाव है। जब उच्च अधिकारियों को इस लाभ से नवाजा जा सकता है तो नीचे की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। यह मामला पूर्व में भी विधायकों के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जा चुका है।

इस संदर्भ में अब राज्य कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह भदौरिया ने मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री,प्रमुख सचिव स्कूलशिक्षा, आयुक्त लोक शिक्षण को पत्र लिखकर कहा कि निचले पायदान पर बैठी कार्मिकों के साथ सौतेला व्यवहार न किया जाए।  अधिकारियों की तरह सहायक शिक्षक,शिक्षक, व्याख्याताओ को भी रिक्त पदों पर पुनरीक्षित डीपीसी कर पदोन्नति का लाभ प्रदान करने की जाए। इस संबंध में उन्होंने बिंदुवार तर्क प्रस्तुत किये है।

भदोरिया ने कहा कि विभाग में विगत वर्षों से पदोन्नतियाँ बाधित होने से पदोन्नति के पद बड़ी संख्या में रिक्त बने रहने से अकादमिक एवं प्रशासनिक कार्यों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।  मप्र शासन द्वारा पदोन्नति के रिक्त पदों हेतु लागू समान नियमों का लाभ प्रदान करने हेतु विभाग के उच्च पदों हेतु अप्रेल 2016 के पूर्व की स्थिति में बार -बार पुनरीक्षित डीपीसी आयोजित कर पदोन्नतियों का लाभ प्रदान किया गया है। किन्तु शैक्षिक संवर्गों में वर्षों से पद रिक्त रहने के बावजूद नहीं दिया गया है ।

 विभाग में स्वीकृत अपर संचालक के 8 पदों में से रिक्त रहने के कारण एवं न्यायालय के निर्णय के परिपालन में  धीरेन्द्र चतुर्वेदी को पदोन्नति प्रदान करने हेतु पुनरीक्षित डीपीसी आयोजित कर पदोन्नति का लाभ प्रदान किया गया। किन्तु उसके बाद भी पुनरीक्षित डीपीसी आयोजित होने से वर्तमान में स्वीकृत 8 पदों से अधिक पदोन्नत होने से 11 अपर संचालक कार्यरत हैं।  शिक्षक से व्याख्याता पद पर लगभग 8 वर्षों के अन्तराल पर 2015 में पदोन्नति हेतु आयोजित डीपीसी को निरस्त करते समय शीघ्र पुनरीक्षित डीपीसी आयोजित करने की बात की गई थी ।

उच्च पदों पर पदोन्नति हेतु की गई पुनरीक्षित डीपीसी की भाँति शिक्षक से व्याख्याता पद हेतु भी लाभ प्रदान कर पदस्थापना की जाये। व्याख्याता पद पर पदोन्नति हेतु 2007 के उपरांत की गई डीपीसी में अधिकारियों की गंभीर चूक का खामियाजना शिक्षकों को उठाना पड़ा।

 प्रत्येक 6-6 माह पर डीपीसी आयोजित करने के सामान्य प्रशासन के नियम का खुला उल्लंघन तो जारी रहा ही साथ ही आयोजित डीपीसी उपरांत पदस्थापना के पूर्व जानकारी हुई कि अर्थशास्त्र में एवं राजनीति शास्त्र व्याख्याता के पदों हेतु नियत रोस्टर के विपरीत अनारक्षित पदों पर आरक्षित संवर्ग के अधिक लोक सेवकों की पदोन्नति प्रदान करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। ना ही नियम विरुद्ध अनारक्षित पदों पर पदोन्नत आरक्षित संवर्ग के अधिक लोक सेवकों का आदेश निरस्त किया गया।

 अर्थशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र में अधिकारियों की गंभीर चूक का नुकसान इन संस्थाओं में अधिसंख्यक पढ़ने वाले अनुसूचित जाति एवं जनजाति के साथ गरीब , शोषित एवं वंचित वर्ग को उठाना पडा। क्योंकि संस्थाओं में व्याख्याताओं के पद बड़ी संख्या में रिक्त होने के बावजूद पुनरीक्षित डीपीसी के आदेश का पालन आज दिनांक नहीं किया गया। किन्तु विभाग के उच्च पदों पर कार्यरत अधिकारियों को पुनरीक्षित डीपीसी के माध्यम से पदोन्नत करते समय स्वीकृत से अधिक संख्या में लाभ प्रदान कर उपकृत करने का कारण समझ से परे है ।

 अतएव राज्य कर्मचारी संघ मप्र शासन के पदोन्नति के समान नियमों का लाभ विभाग में विगत वर्षों से कार्यालयों एवं स्कूलों में पदोन्नति के अधिकांश रिक्त पदों पर उच्च अधिकारियों की पदोन्नति हेतु आयोजित पुनरीक्षित डीपीसी की भाँति विभाग में पदोन्नति हेतु रिक्त प्राचार्यों सहित सभी पदों पर लाभ प्रदान कर पदस्थापना करने की मुख्यमंत्री सहित शासन प्रशासन को पत्र प्रेषित कर मांग करता है।