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‘एक बनाम एक’ पर सहमति की गुंजाइश नहीं, चुनावी गठबंधन भविष्य में होगा तय

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नई दिल्ली
 2024 के आम चुनाव के सियासी संग्राम के मद्देनजर पटना में शुक्रवार को होने जा रही विपक्षी एकता की पहली महाबैठक तमाम पार्टियों के बीच भाजपा के खिलाफ संपूर्ण गोलबंदी का सैद्धांतिक आधार भले ही तैयार करेगी मगर चुनाव में ‘एक बनाम एक’ उम्मीदवार के फार्मूले पर सहमति का रास्ता निकलने की गुंजाइश कम है। विपक्षी एकता के नाम पर तमाम क्षेत्रीय दल कई राज्यों में कांग्रेस से अपनी सियासी जमीन छोड़ने की अपेक्षा कर रहे हैं लेकिन संकेतों से साफ है कि कांग्रेस ऐसे किसी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगी। इसीलिए विपक्ष के शीर्षस्थ नेताओं की इस बैठक के एजेंडे में ऐसे मुद्दों पर ही चर्चा केंद्रित रहेगी जिन पर व्यापक सहमति बनाने में कोई दिक्कत नहीं है और चुनावी गठबंधन का मसला भविष्य पर छोड़ा जाएगा।

क्षेत्रीय दलों की ओर से भाजपा-राजग के खिलाफ अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार उतारने की जमकर की जा रही पैरोकारी पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि पहली बैठक में ही किसी फार्मूले पर सहमति बनाने की अपेक्षा अव्यावहारिक है। विपक्ष के शीर्षस्थ नेता जब मिलेंगे तो वे मोदी व भाजपा की ध्रुवीकरण और संपूर्ण संस्थागत कब्जे की गंभीर चुनौतियों का राजनीतिक मुकाबला करने के पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

चुनावी गठबंधन पर शुरुआती बैठक में ही निर्णयात्मक चर्चा की गुंजाइश नहीं है। इस पहल का सबसे बड़ा लक्ष्य पीएम मोदी व भाजपा-एनडीए की बनाई इस धारणा को तोड़ना है कि विपक्ष बिखरा और कमजोर है। कांग्रेस नेताओं के अनुसार सीटों के फार्मूले पर सहमति बनाने से ज्यादा अहम अभी यह है कि एकजुट हो संदेश दिया जाए कि देश में विपक्ष एक ताकतवर राजनीतिक विकल्प के रूप में न केवल मौजूद है बल्कि भाजपा-राजग को हराने में भी सक्षम है।

इसीलिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, संघीय व्यवस्था पर प्रहार, लोकतांत्रिक संस्थाओं पर बढ़ते दबाव, ईडी-सीबीआइ-इनकम टैक्स जैसी केंद्रीय एजेंसियों का विपक्षी नेताओं के खिलाफ इस्तेमाल, महंगाई-बेरोजगारी-अर्थव्यवस्था की चुनौतियों जैसे सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ एकजुट होकर मुकाबला करने पर सहमति जताई जाएगी। यह विपक्षी एकता की भविष्य की दिशा भी निर्धारित करेगी।

बैठक में कांग्रेस का जोर जहां विपक्ष के राजनीतिक विकल्प के विमर्श को मजबूती देने पर रहेगा वहीं इससे भी इन्कार नहीं किया जा रहा कि कई क्षेत्रीय पार्टियां चुनावी गठबंधन का स्वरूप स्पष्ट करने का कांग्रेस पर दबाव बनाएंगी। इसका संकेत विपक्षी बैठक की पहल में सूत्रधार की भूमिका निभा रहे जदयू नेता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा-राजग के खिलाफ हर सीट पर विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार यानी एक बनाम एक फार्मूले के प्रस्ताव के साथ दे दिया था। तृणमूल कांग्रेस से लेकर सपा और आप ने इसका समर्थन किया था।