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इकोनॉमी, स्ट्रैटजी और डिफेंस… भारत और अमेरिका के बीच होने वाले समझौते गेमचेंजर कैसे साबित होंगे?

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नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका के राजकीय यात्रा पर रवाना हो चुके हैं और 21 जून की रात करीब डेढ़ बजे वो न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर उतरेंगे। प्रधानमंत्री मोदी को भेजे गये आधिकारिक न्योते में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस यात्रा का मकसद द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने और लोकतंत्र से लोकतंत्र का मिलान बताया था। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी कांग्रेस की एक संयुक्त बैठक को दूसरी बार संबोधित करेंगे और ये एक ऐसा सम्मान है, जो पीएम मोदी से पहले विंस्टन चर्चिल, नेल्सन मंडेला और इज़राइल के प्रधानमंत्रियों बेंजामिन नेतन्याहू और यित्ज़ाक राबिन सहित कुछ ही नेताओं को दिया गया है।

  दोनों देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के केंद्र में आर्थिक जुड़ाव काफी गहरा रहा है और द्विपक्षीय संबंधों को "वैश्विक रणनीतिक साझेदारी" तक बढ़ाने के लिए दोनों पक्षों का संकल्प है। जबकि संबंध साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर हितों के मिलान से स्थापित है। भारत और अमेरिका के बीच के आज के संबंधों को देखें, तो ये आश्चर्यजनक लगता है, क्योंकि सिर्फ 25 साल पहले भारत पर अमेरिकी प्रतिबंध लगे हुए थे। लेकिन, अब प्रधानमंत्री मोदी की राजकीय यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब दोनों देशों के बीच व्यापार का मूल्य रिकॉर्ड 191 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जिससे अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।

भारत के लिए, अमेरिका के साथ व्यापार स्थिति का अनुकूल संतुलन सुकून देने वाला है, यह देखते हुए कि भारत के ज्यादातर अन्य प्रमुख व्यापारिक भागीदारों के साथ भारत का व्यापार समीकरण का प्रतिकूल संतुलन है। अमेरिका के लिए भारत, नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अमेरिकी कंपनियों ने भारत में विनिर्माण से लेकर दूरसंचार और उपभोक्ता वस्तुओं से लेकर एयरोस्पेस तक के क्षेत्रों में लगभग 60 अरब डॉलर का निवेश किया है। और भारतीय कंपनियों ने आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में अमेरिका में 40 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) के वार्षिक भारत विचार शिखर सम्मेलन के अपने संबोधन में भी इसका जिक्र किया है। भारत के निवेश से अमेरिका में 4 लाख 25 हजार नई नौकरियों का सृजन हुआ है।