बेंगलुरु
पति की तरफ से शारीरिक संबंधों से इनकार करना हिंदू मैरिज एक्ट के तहत क्रूरता है। हाल ही में कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह बात कही है। कोर्ट का कहना है कि अगर पति शादी के बाद शारीरिक संबंधों से मना कर रहा है, तो उसे IPC की धारा 498ए के तहत क्रूरता नहीं माना जा सकता है। एक शख्स की पत्नी ने धारा 498ए के तहत शिकायत दर्ज कराई थी।
क्या है मामला
इस मामले में पति अपने और अपने माता-पिता के खिलाफ धारा 498ए के तहत और दहेज निषेध अधिनियम 1961 के तहत दाखिल आरोपपत्र के खिलाफ उच्च न्यायालय पहुंचा है। जोड़े ने 18 दिसंबर 2019 को शादी की थी, लेकिन पत्नी केवल 28 दिन ही ससुराल में रही। 5 फरवरी 2020 को उसने पति के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया। साथ ही उसने हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 12(1)(a) के तहत फैमिली कोर्ट का भी रुख किया था। पत्नी का कहना था कि शारीरिक संबंधों के जरिए शादी को पूरा नहीं किया गया और क्रूरता के आधार पर विवाह को खत्म करने की मांग की। 16 नवंबर 2022 को शादी रद्द कर दी गई, लेकिन पत्नी ने आपराधिक मामले को जारी रखने का फैसला किया। बार एंड बेंच के अनुसार, शिकायतकर्ता का कहना था कि वह जब भी पति के पास जाने की कोशिश करती थी, तो वह अपनी आस्था से जुड़े वीडियो देखता रहता था। महिला ने यह भी दावा किया तब पति ने उससे साफ कह दिया था कि उसे शारीरिक संबंधों में कोई दिलचस्पी नहीं है।
कोर्ट में क्या हुआ
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि याचिकाकर्ता पर एक ही आरोप है कि वह विशेष आध्यात्म का अनुयायी है। उन्होंने कहा कि वह मानता है 'प्यार का मतलब शारीरिक संबंध से नहीं, बल्कि आत्मा से आत्मा का मिलन है।' कोर्ट ने कहा कि वह कभी भी पत्नी के साथ शारीरिक संबंद नहीं रखना चाहता था, जो हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 12(1)(a) के तहत क्रूरता है, लेकिन इसे IPC की धारा 498ए के तहत क्रूरता नहीं कहा जा सकता। जज ने पाया कि पेश किए गए तथ्य तलाक के लिहाज से क्रूरता की श्रेणी में आ सकते हैं, लेकिन यहां आपराधिक कार्यवाही को जारी नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने यह भी पाया कि सास-ससुर के खिलाफ कोई भी केस नहीं था। कोर्ट ने शख्स के खिलाफ आपराधिक मामला खत्म कर दिया।