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‘संजय राउत को लगता था MVA 25 साल तक चलेगी’, अजित पवार का पलटवार

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  मुंबई

   महा विकास अघाड़ी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष अजित पवार और शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय रावत के बीच जुबानी हमले कम नहीं हो रहे हैं. रविवार को एक बार फिर अजित ने राउत के बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा, जब उद्धव ठाकरे की सरकार थी, तब उन्हें लगता था कि MVA 25 साल तक साथ रहेगा. लेकिन, अब वो खुद की सरकार लाना चाहते हैं.

बता दें कि संजय राउत ने एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था, जब तक हमारे मन में है, तब तक हम महाविकास अघाड़ी में रहेंगे. वरना खुद के दम पर भगवा लहराएंगे. राउत के इस बयान पर नेता विपक्ष अजित पवार ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने का अधिकार है. हम एक साथ इसलिए आए हैं, क्योंकि हम अगर आज एक साथ नहीं आते हैं तो बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) से नहीं लड़ सकते हैं.

'उनको हमारी शुभकामनाएं…'

अजित ने आगे कहा, जब तक उद्धव ठाकरे की सरकार थी, तब तक संजय राउत को लगता था कि महा विकास आघाड़ी 25 साल तक चले. अब वे चाहते हैं कि हमारी खुद की सरकार आगे आए तो इसमें गलत क्या है? पार्टी हर लक्ष्य को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रही है. हमारा कुछ कहना नहीं है. उन सबको हमारी शुभकामनाएं.

 

'पवार का प्लान था…'

दूसरी ओर, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भी बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा, पवार का प्लान था कि एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले को मुख्यमंत्री और आदित्य ठाकरे को उपमुख्यमंत्री बनाया जाए, इसलिए शिवसेना के 40 विधायक अलग हो गए.

'महंगाई और बेरोजगारी बात करे बीजेपी'

वहीं, जब अजित पवार से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, अगर चंद्रशेखर बावनकुले दूसरे के दिमाग में चल रही बातों को समझते हैं तो बेहतर है कि ना बोलें, लेकिन ऐसा नहीं है. मीडिया खबर दिखाता है और उस पर विरोधियों की प्रतिक्रिया लेता है, लेकिन हम इसके बारे में बात नहीं करना चाहते. बहरहाल, महंगाई, बेरोजगारी और किसानों को न्याय मिले, यही उम्मीद करते हैं.

'MVA की 3 साल भी नहीं चल पाई थी सरकार'

बता दें कि महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, जिसके बाद राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ था और महा विकास अघाड़ी नाम दिया गया था. नवंबर 2019 में तीनों दलों ने मुख्यमंत्री के तौर पर उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति जताई थी. ये सरकार पूरे 3 साल भी नहीं चल पाई थी और जून 2022 में शिंदे गुट ने बगावत कर दी, जिससे उद्धव को इस्तीफा देना पड़ा था.