Home देश ‘कुकी आवाज दबाने की कोशिश’, मणिपुर में हिंसा के बीच ट्राइबल फोरम...

‘कुकी आवाज दबाने की कोशिश’, मणिपुर में हिंसा के बीच ट्राइबल फोरम ITLF का ट्विटर अकाउंट ब्लॉक

8

इम्फाल
मणिपुर के इंफाल शहर में सुरक्षाबलों और भीड़ के बीच झड़प थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। हिंसा के बीच प्रमुख आदिवासी नेताओं के फोरम का ट्विटर हैंडल ब्लॉक कर दिया गया है। आदिवासी फोरम इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के ट्विटर हैंडल पर रोक लगा दी गई है। आईटीएलएफ मीडिया सेल के ट्विटर पेज पर एक संदेश लिखा है जिसमें कहा गया है कि अकाउंट को कानूनी मांग के जवाब में भारत में रोक लगा दिया गया है। आईटीएलएफ ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है। इसके अलावा इसे सेंसरशिप का चौंकाने वाला काम बताया है।

ट्राइबल फोरम ने किया दावा
ट्राइबल फोरम ने यह भी दावा किया है कि उनका ट्विटर अकाउंट जागरूकता बढ़ाने और कुकी-जो आदिवासी समुदायों के अधिकारों की वकालत करने का एक महत्वपूर्ण मंच रहा है। आईटीएलएफ ने एक बयान जारी कर रहा कि 'आईटीएलएफ मीडिया सेल के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करना पहले से ही हाशिए पर पड़े कुकी-जो आदिवासी आवाज को दबाने का एक और प्रयास है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और 1948 की संयुक्त राष्ट्र संधि का उल्लंघन है।'

मणिपुर में इंटरनेट पर लगी रोक
राज्य में ताजा हिंसा के मद्देनजर, मणिपुर सरकार ने इंटरनेट सेवाओं पर जारी प्रतिबंध को और पांच दिनों के लिए बढ़ा दिया है। सरकार ने 3 मई को पहली बार इंटरनेट बंद किया था जब राज्य में पहली बार जातीय हिंसा भड़की थी। समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, हाल ही में इंफाल में भीड़ ने भाजपा नेताओं के घरों को आग लगाने का प्रयास किया। सुरक्षा बलों के साथ भीड़ की झड़प में दो नागरिकों के घायल होने की खबर है।

मणिपुर हिंसा में मारे गए 100 से अधिक लोग
ITLF ने आरोप लगाया कि उसके ट्विटर हैंडल को ब्लॉक करने से आदिवासी समुदायों की दैनिक हमलों के बारे में जमीनी रिपोर्ट को सीमित और बाधित करेगी। बयान में कहा गया है कि ITLF मीडिया सेल की पहुंच और महत्वपूर्ण सूचनाओं के प्रसार में बाधा डालकर, हमारे खिलाफ चल रहे जातीय सफाए पर प्रकाश डालने के हमारे सीमित प्रयासों को रोका जा रहा है। आदिवासी कुकियों, जो ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं, और इंफाल घाटी में प्रमुख समुदाय मेइती के बीच हिंसा के बाद से कम से कम 115 लोग मारे गए हैं और अन्य 40,000 विस्थापित हुए हैं।