भोपाल
भोज मुक्त विश्वविद्यालय में मिस मैनेजमेंट के चलते स्थिति दयनीय बनी हुई है। 19 जून से यूजी-पीजी के वार्षिक परीक्षाएं शुरू होना है और अभी तक कॉलेजों के पास ‘प्रोराटा’ की करीब दो करोड़ रुपए की राशि नहीं पहुंच सकी है। इससे कई कॉलेजों ने भोज विवि की परीक्षाएं कराने से मना कर दिया है। इससे विद्यार्थियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
परीक्षाएं शुरू होने के एक माह पहले कॉलेजों के पास प्रोराटा की राशि पहुंच जाना चाहिए, ताकि प्राचार्य परीक्षा के लिए कक्षाओं की व्यवस्था कर सकें। भोज विवि 19 जून से अपनी परीक्षाएं शुरू करने का कार्यक्रम वेबसाइट पर अपलोड कर चुका है, लेकिन अभी तक 300 कॉलेजों के खाते में प्रोराटा की करीब दो करोड़ रुपए की राशि नहीं पहुंच सकी है। राशि के अभाव में कॉलेजों को परीक्षाएं कराने में काफी असुविधा होने वाली है। इसके चलते उन्होंने भोज से परीक्षाएं कराने से इंकार कर दिया है। प्रोराटा की राशि आवंटित करने के लिए एक दर्जन फाइलें तैयार करने के लिए आॅडिट के लिए भेज दी है। अब ये राशि कब जारी होकर कॉलेजों तक पहुंचेगी और परीक्षाएं कैसे संचालित की जाएंगी, इसे लेकर कुलपति संजय तिवारी की कार्य व्यवस्था पर सवालिया निशान जरूर लग रहा है।
ये होती है प्रोराटा राशि…
उच्च शिक्षा विभाग ने अपने सभी कॉलेजों को भोज का स्टडी सेंटर बनाने एमओयू किया है। इसके तहत विद्यार्थियों द्वारा जमा की गई राशि का 20 फीसदी हिस्सा कॉलेजों के खाते में जाएगा, जिसे प्रोराटा राशि का नाम दिया गया है। इस प्रोराटा राशि से कॉलेज विद्यार्थियों को कक्षाएं मुहैया कराएगा और परीक्षाओं की व्यवस्था करेगा।
12 करोड़ रुपए मिली फीस
जानकारी के मुताबिक भोज विश्वविद्यालय में यूजी और पीजी में करीब 90 हजार विद्यार्थी प्रथम से लेकर तीसरे वर्ष में प्रवेशरत हैं। इसके तहत उनकी फीस करीब 12 करोड़ रुपए भोज विवि के खाते में जमा हो चुकी है। इसका 20 फीसदी हिस्सा करीब दो करोड़ आ रहा है, जो विश्वविद्यालय द्वारा कॉलेजों तक नहीं पहुंच सका है।
कुछ कहने को तैयार नहीं कुलपति तिवारी
कुलपति संजय तिवारी से कई बार मोबाइल और कार्यालय नंबर पर संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने किसी भी बात का जवाब देना जरूरी नहीं समझा है।