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वैज्ञानिक अनुसंधानों को लैब से निकालकर सामाजिक विकास से जोड़ने का भारत प्रवर्तक – प्रो आशुतोष शर्मा

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कांफ्रेंस में हुए विमर्श पर आधारित नीति निर्माण की अनुशंसाएँ करेगा साइंस-20

भोपाल
जी-20 अन्तर्गत साइंस-20 कांफ्रेंस के प्रथम दिवस के सत्रों में हुए मंथन और आगामी कार्रवाई के संबंध में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) के अध्यक्ष प्रो. आशुतोष शर्मा ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत इस विचारधारा का प्रवर्तक है कि समाज को विज्ञान से जोड़ा जाये, जिससे उन्हें वैज्ञानिक विकास का शीघ्र लाभ प्राप्त हो सके। कैसे लैब से निकालकर वैज्ञानिक अनुसंधानों से सीधे सामाजिक हित को जोड़ा जाये। "कनेक्टिंग साइंस टू सोसाइटी एंड कल्चर" थीम पर आधारित साइंस-20 कांफ्रेंस भोपाल में हुई। बैठक में G-20 के सदस्य, 9 देशों, आमंत्रित राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के 25 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों सहित कुल 80 प्रतिनिधि-प्रतिभागी शामिल हुए।

प्रो. शर्मा ने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय की ज़िम्मेदारी है कि उनके प्रयासों की दिशा समाज के हित में हो, जो सतत समावेशी एवं संवहनीय विकास को बल प्रदान करे। तकनीकी से वैश्विक दूरियाँ कम हुई हैं, यहाँ यह महत्वपूर्ण है कि तकनीकी विकास विविधताओं के संरक्षण में सहायक हो। सांस्कृतिक विरासतों को सहेजने में भी वैज्ञानिक समुदाय अग्रणी भागीदारी निभाये। सीएसआर की तर्ज़ पर ही आज साइंटिफिक सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (SSR) आवश्यकता है। आज वैज्ञानिक संस्थान अत्याधुनिक संसाधनों का प्रयोग कर अनुसंधान कर रहे हैं। वैज्ञानिक संस्थानों को नई तकनीकी के प्रति आमजनों को जागरूक करना, शिक्षित करना आवश्यक है। जिससे तकनीकी विकास का लाभ लेकर आमजन के जीवन को सुखमय बनाया जा सके। विकास की राह में पीछे रह गये लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने में विज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। साथ ही यह भी आवश्यक है कि वैज्ञानिक विकास की दर सामाजिक विकास की दर के साथ हो। विकास दर में असमानता को कम करने में वैज्ञानिक समुदाय को आगे आकर प्रयास करने होंगें।

प्रो. शर्मा ने कहा कि वर्ष 2015 में 7 स्टार्टअप से आज भारत में 70 हज़ार से अधिक स्टार्ट अप हैं। आगामी समय में रोज़गार के लिए युवाओं को नयी स्किल सीखने की आवश्यकता है। नयी चीजों को सीखने के सामर्थ्य को विकसित करने की आवश्यकता है। इस दिशा में वैश्विक प्रबुद्ध जनों ने मंथन किया, जिसकी रिपोर्ट एवं नीति निर्माण के लिए अनुशंसा G-20 समूह को भेजी जाएगी। प्रो. शर्मा ने डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, क्वाण्टम कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग आदि को रेखांकित करते हुए कहा कि इन अत्याधुनिक तकनीकी से समाज में पड़ रहे प्रभाव का अध्ययन कर नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकारात्मक प्रभाव को बढ़ावा देने का कार्य भी प्रबुद्ध वर्ग को करना होगा।

प्रो. शर्मा ने कहा कि विज्ञान को समाज और संस्कृति से जोड़ना, वैज्ञानिक जानकारी के प्रसार से आगे है। इसमें वैज्ञानिक समुदायों और विविध सामाजिक हितधारकों के बीच संवाद, आपसी समझ और सह-निर्माण शामिल है। आज विज्ञान के संचार के साथ नागरिकों की विज्ञान पहलों, सहभागी अनुसंधान को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इससे हम व्यक्तियों और समुदायों को वैज्ञानिक खोजों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने और नवाचारों के विकास की निर्णय प्रक्रियाओं में योगदान के लिए सशक्त बना सकते हैं।

प्रो. शर्मा ने बताया कि कांफ्रेंस में दो मुख्य सत्र शामिल थे। जिसमें विविध देशों से आये वैज्ञानिक समुदाय एवं प्रबुद्ध वर्ग के व्यक्तियों ने वैचारिक मंथन किया। शिक्षा और कौशल, कानून और शासन, विरासत और संस्कृति के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विषय पर वृहद् चर्चा हुई। फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज, सोसाइटीज ऑफ द फ्यूचर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर सोसाइटी एंड कल्चर पर पैनल डिस्कशन किया गया।

वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और नीति निर्माताओं ने विज्ञान को समाज और संस्कृति से जोड़ने के महत्वपूर्ण विषयों पर व्यापक चर्चा की। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की समझ और प्रभाव पर पैनल डिस्कशन में प्रबुद्ध वर्ग ने अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। शिक्षा के बारे में चर्चा पर विचार-विमर्श शुरू हुआ, जिसके बाद एआई के उपयोग और ट्रांस-डिसिप्लिनरिटी के दृष्टिकोण से स्वीडन के उदाहरण पर व्याख्या की गई। कानून और शासन विषय पर चर्चा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कानूनी प्रणालियों और शासन नेटवर्क में हस्तक्षेप पर प्रकाश डाला गया। फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज पर दिन के पहले पैनल ने एक अंतरराष्ट्रीय पैनल या एक प्रौद्योगिकी मंच बनाने के पहलुओं पर चर्चा की जो सतत विकास के साथ विघटनकारी विज्ञान की समझ पर काम करे।

अगले सत्र में, विरासत के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर विचार-विमर्श किया गया और इसके बाद ग्लोबल डिजिटल हेरिटेज इनिशिएटिव की शुरुआत करने पर चर्चा की गई और इसे तुरंत प्रारंभ करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। एआई पर पैनल ने एआई की बहुमुखी समझ और इसके संभावित विनियमन पर विचार-विमर्श किया। प्रेरणादायक विज्ञान के भविष्य पर पैनल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे महत्वाकांक्षी विज्ञान दुनिया के भविष्य को आकार देगा। अंतिम पैनल में विज्ञान और समाज की चुनौतियों के मेल पर प्रकाश डाला गया।

राज्य शासन ने साइंस-20 आयोजन की उत्कृष्ट व्यवस्था की

प्रो. शर्मा ने भोपाल में साइंस-20केआयोजन में राज्य शासन की व्यवस्थाओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि भोपाल सांस्कृतिक रूप से बहुत समृद्ध है। प्रो. शर्मा ने अवगत कराया कि साइंस-20के प्रतिनिधि भोपाल के समीप स्थित ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक महत्व के स्थलों का भ्रमण करेंगे।

उल्लेखनीय है कि साइंस-20, जी-20 का एक साइंस एंगेजमेंट वर्टिकल है, जिसे वर्ष 2017 में जर्मनी की अध्यक्षता के दौरान स्थापित किया गया था। इसमें सभी जी-20 देशों की वैज्ञानिक अकादमियाँ शामिल हैं। भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान इंडोनेशिया और ब्राजील, भारत के साथ ट्रोइका सदस्य हैं। साइंस-20एंगेजमेंट ग्रुप का मुख्य उद्देश्य नीति निर्माताओं को विज्ञान-संचालित सिफारिशें प्रदान करना है जो आम सहमति पर आधारित है।