नई दिल्ली
भाजपा ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए चौतरफा रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके लिए अगले माह जयपुर में कांग्रेस सरकार का महाघेराव उसका पहला बड़ा अभियान होगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से भाजपा राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल को गरमाएगी। इसके साथ ही वह अपनी पार्टी को एकजुट रहने का संदेश देते हुए सामूहिक नेतृत्व पर भी जोर देगी। विरोधियों पर दबाव बनाने के लिए पार्टी नए चेहरों को भी रणनीतिक ढंग से अपने साथ जोड़ेगी।
लोकसभा चुनाव से पहले इस साल के आखिर में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीदें कांग्रेस की सत्ता वाले राजस्थान से हैं। राज्य में भाजपा, कांग्रेस के आपसी घमासान के साथ सत्ता विरोधी माहौल का भी लाभ उठाना चाहेगी। इस दौरान भाजपा, अपने कार्यकर्ताओं में सक्रियता बढ़ाने और पूरे राज्य को मथने के लिए अगले महीने महाघेराव अभियान चलाएगी। इसके तहत अगले माह के आखिर में जयपुर में पांच लाख कार्यकर्ताओं को जुटाने की तैयारी है।
प्रधानमंत्री के डेढ़ दर्जन दौरे संभावित
सूत्रों के अनुसार चुनाव तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य में लगभग डेढ़ दर्जन दौरे हो सकते हैं। इनमें सरकारी और पार्टी दोनों के कार्यक्रम शामिल रहेंगे। भाजपा अपने अभियान के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रखेगी। हालांकि पार्टी राज्य में अपनी सबसे प्रभावी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी पूरा महत्व देगी। राज्य में सामूहिक नेतृत्व पर जोर देने के लिए पार्टी ने तय किया है कि उसके सभी कार्यक्रमों, हर छोटी-बड़ी सभा में भारत माता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा के ही नारे लगेंगे। इससे पार्टी में खेमेबाजी पर लगाम लगेगी और भितरघात की स्थितियों को भी पनपने से रोका जा सकेगा।
मुद्दों पर रहेगा जोर
भाजपा ने कांग्रेस सरकार को घेरने के लिए भी कुछ अहम मुद्दों को भी बुलंद करने का निर्णय लिया है। इनमें कांग्रेस की गहलोत सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार, रोजगार, पेपर लीक और कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाते हुए नारे तय किए गए हैं। इनमें भ्रष्टाचार का फैला जाल, नहीं सहेगा राजस्थान, पेपर लीक से युवा परेशान, अपराध बेलगाम जैसे नारे शामिल हैं।
समिति का गठन कर नए चेहरों को जोड़ा जाएगा
भाजपा उत्तर प्रदेश की तरह राजस्थान में भी नए चेहरों को जोड़ने के लिए तेजी से काम करेगी। इसके लिए पार्टी एक समिति भी बना सकती है, जो राजनीतिक नफा-नुकसान का आकलन करते हुए लोगों को शामिल करने की सिफारिश करेगी। इनमें दूसरे दलों से आने वाले वरिष्ठ नेता, विधायक व रिटायर अधिकारियों पर जोर दिया जाएगा। चुनावी रणनीति के मद्देनजर चुनाव के ठीक पहले हर दिन पांच से छह चेहरों को पार्टी में शामिल किया जाएगा। यह काम दिल्ली के बजाय जयपुर में होगा, ताकि राज्य में सीधा संदेश जाए।