Home राजनीति सिद्धरमैया की खाद्यान्न गारंटी पर लगा ग्रहण, केंद्र ने राज्यों को चावल-गेहूं...

सिद्धरमैया की खाद्यान्न गारंटी पर लगा ग्रहण, केंद्र ने राज्यों को चावल-गेहूं की बिक्री रोकी

3

नई दिल्ली

कर्नाटक की नई नवेली कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका लगा है। चुनाव के दौरान उसने राज्य की जनता को 'अन्न भाग्य योजना' की गारंटी दी थी। इस गारंटी के तहत  सभी बीपीएल परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो अनाज उपलब्ध कराने की योजना है। इस बीच केंद्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (FCI) से राज्य सरकारों को गेहूं और चावल की बिक्री रोक दी है।

आपको बता दें कि केंद्र  एफसीआई के पास से अपने पूल का अनाज ओपन मार्केट सेल स्कीम में बेचता है। अब उत्तर-पूर्वी राज्यों और प्राकृतिक आपदा वालें राज्यों के अलावा किसी को भी देने से मना कर दिया है। इससे कर्नाटक सरकार को फ्री अनाज स्कीम को लेकर समस्या हो रही है। उसने केंद्र पर आरोप लगाया है कि उसकी योजना को विफल करने के लिए ऐसा किया गया है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी सरकार ने अन्न भाग्य योजना के तहत अनाज की आपूर्ति के लिए एफसीआई से 2.28 लाख मीट्रिक टन की मांग की थी। 12 जून को एफसीआई ने दो पत्र भेजकर लगभग 2.22 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति करने की सहमति दी थी। इसके एक दिन बाद केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा एफसीआई के स्टॉक से गेहूं और चावल की बिक्री बंद करने का निर्देश आया।

नए आदेश के मुताबिक, एफसीआई ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत आवश्यकता के अनुसार निजी पार्टियों को केंद्रीय पूल स्टॉक से चावल की बिक्री कर सकता है। राज्य सरकारों के लिए ओएमएसएस के तहत गेहूं और चावल की बिक्री बंद कर दी गई है। पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के अलावा उन इलाकों को अपवाद माना गया है जहां कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी हो या फिर जो राज्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे हैं।

सिद्धारमैया ने दावा किया कि सात लाख टन चावल का स्टॉक होने के बावजूद केंद्र राज्यों को एफसीआई की बिक्री रोक रहा है। राज्य काफी हद तक एफसीआई से चावल खरीदने पर विचार कर रहा है।  ज्यादा गेहूं खरीदने के बारे में नहीं सोच रहा है।

सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे चावल की खेती करने वाले राज्यों के साथ-साथ उन एजेंसियों से भी संपर्क किया है जो चावल उपलब्ध कराती हैं। किसी भी देरी के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी। आपको बता दें कि एक जुलाई से इस योजना को लागू किया जाएगा।

सिद्धारमैया के दावों पर पलटवार करते हुए भाजपा महासचिव सीटी रवि ने कहा कि अगर सीएम प्रति व्यक्ति 10 किलो चावल की व्यवस्था नहीं कर सकते हैं तो उन्हें चावल का बाजार मूल्य गरीबों के बैंक खातों में स्थानांतरित करना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार है जो राज्य के सभी गरीब परिवारों को 5 किलो चावल दे रही है।”