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आईटीआर की तरह जीएसटी रिटर्न भरना आसान होगा, एआईएस जैसी सुविधा लाएगी सरकार

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नई दिल्ली
 
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBIC) जीएसटी रिटर्न (GST Return) दाखिल करने की प्रक्रिया को और आसान बनाने जा रहा है। इसके लिए आयकर रिटर्न (ITR) की तर्ज पर जीएसटी करदाताओं को वार्षिक सूचना रिपोर्ट (AIS) जैसी सुविधा देने की तैयारी है। इसे इस साल के अंत तक शुरू किया जा सकता है।

आयकर की तर्ज पर बदलाव
 फिलहाल, आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों को एआईएस की सुविधा दी गई है। इस वार्षिकी रिपोर्ट को आयकर विभाग की वेबसाइट या एआईएस एप से डाउनलोड किया जा सकता है। एआईएस में रिटर्न भरने से जुड़ी कई जरूरी जानकारियां होती हैं। जैसे अलग-अलग स्रोतों से संबंधित वित्त वर्ष के दौरान हुई कुल कमाई, कर देनदारी इत्यादि। इससे करदाता आसानी से अपनी पूरी कमाई का मिलान कर पाते हैं। एआईएस मदद से सामान्य आयकरदाता किसी विशेषज्ञ की मदद लिए बिना खुद से ही रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।

जीएसटी रिटर्न के लिए कई नई सुविधाएं
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड अब जीएसटी रिर्टन दाखिल करने वालों के लिए भी एआईएस जैसी सुविधा पर काम कर रहा है। इसमें करदाता को भी सभी लेनदेन का विस्तृत ब्योरा और बिल मिल जाएंगे। इसकी मदद से करदाताओं को अपनी कर देनदारी का पता चलता रहेगा। इसके साथ ही जीएसटी रिटर्न के लिए प्री-फिल्ड (पहले से भरे) फॉर्म तैयार किए जा रहे हैं। इससे रिटर्न दाखिल करते समय गलतियां होने की आशंका कम हो जाएंगी और आंकड़ों में गड़बड़ियों के मामलों को दूर करना आसान हो जाएगा।

मुकदमों में कमी आएगी
अधिकारियों का कहना है कि इन नई सुविधाओं की शुरुआत होने से जीएसटी संबंधी मुकदमों में कमी आएगी। नियमों का पालन बेहतर होगा और जीएसटी रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। इन सुविधाओं से खास तौर पर छोटे करदाताओं को ज्यादा फायदा होगा।

पंजीकरण के लिए फर्जी दस्तावेज लगा रहे
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के अनुसार, लोग जीएसटी पंजीकरण के लिए फर्जी दस्तावेज लगा रहे हैं। इसके जरिए करोड़ों रुपये के फर्जी बिल बनाए गए। देश की 1800 फर्मों ने 10 हजार करोड़ से अधिक की बोगस क्रेडिट ली है। इसके चलते बीते छह साल में देश के 21 शहरों में स्थित जीएसटी जोन में आए 49.35 लाख आवेदन में 26.93 लाख रद्द हो गए। यह आंकड़ा कुल आवेदन का 54 फीसदी है।

हालांकि, विशेषज्ञ और व्यापारी जीएसटी विभाग के तर्क से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि अधिकारी कई बार बेवजह आवेदन रद्द करते हैं। ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली बिल, पैन और आधार कार्ड का सत्यापन अब आनलाइन हो जाता है, लेकिन विभाग आपत्ति लगाकर आवेदन रद्द कर देता है। उन स्टार्टअप तक के अर्जी रद्द की गई, जिनके पास करोड़ों रुपये के ऑर्डर थे।