नई दिल्ली
ट्विटर के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जैक डोर्सी ने दावा किया है कि इस सोशल मीडिया मंच को देश में किसानों के प्रदर्शन के दौरान सरकारी दबाव और बंद किये जाने की धमकियों का सामना करना पड़ा था।
उनके इस बयान को केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने झूठा करार दिया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री चंद्रशेखर ने डोर्सी के दावों को खारिज करते हुए ट्वीट किया कि ''डोर्सी के समय ट्विटर प्रशासन को भारतीय कानून की संप्रभुता को स्वीकार करने में दिक्कत होती थी।''
उन्होंने कहा, ''कोई जेल नहीं गया और ना ही ट्विटर बंद किया गया।''
ट्विटर के सह-संस्थापक और पूर्व सीईओ डोर्सी ने आरोप लगाया है कि देश में किसानों के प्रदर्शन के दौरान भारत सरकार ने ट्विटर पर दबाव डाला था और सरकार का कहना नहीं मानने पर भारत में ट्विटर को बंद करने, उसके कर्मचारियों के घरों पर छापे मारने की धमकियां दी गयी थीं।
चंद्रशेखर ने ट्वीट किया, ''डोर्सी और उनकी टीम के समय ट्विटर लगातार और बार-बार भारतीय कानून का उल्लंघन कर रहा था। उन्होंने 2020 से 2022 तक बार-बार कानूनों की अवमानना की और जून 2022 में ही उन्होंने अंतत: अनुपालन शुरू किया।''
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डोर्सी के समय ट्विटर को भारतीय कानून की संप्रभुता को स्वीकार करने में समस्या थी और वह ऐसे व्यवहार करता था मानो भारत के कानून उस पर लागू नहीं होते।
उन्होंने कहा ''एक संप्रभु राष्ट्र होने के नाते भारत के पास यह सुनिश्चित करने का अधिकार है कि उसके कानूनों का भारत में संचालित सभी कंपनियां पालन करें।''
चंद्रशेखर ने कहा कि जनवरी 2021 में प्रदर्शनों के दौरान अनेक दुष्प्रचार किये गये और यहां तक कि नरसंहार की खबरें थीं जो कि निश्चित रूप से फर्जी थीं। उन्होंने कहा कि सरकार इस मंच से गलत सूचनाओं को हटाने के लिए बाध्य थी क्योंकि फर्जी खबरों के आधार पर हालात और बिगड़ने की आशंका थी।
उन्होंने कहा, ''जैक के समय ट्विटर पर पक्षपातपूर्ण रवैये का यह स्तर था कि उन्हें भारत में इस मंच से गलत सूचनाओं को हटाने में दिक्कत थी, जबकि अमेरिका में अनेक घटनाओं में उन्होंने खुद ऐसा किया।''
चंद्रशेखर ने कहा कि किसी के यहां छापे नहीं मारे गये और ना ही किसी को जेल भेजा गया तथा पूरी तरह ध्यान भारतीय कानूनों के अनुपालन पर था।
उन्होंने कहा, ''जैक के समय ट्विटर के मनमाने, खुल्लम खुल्ला पक्षपातपूर्ण और भेदभाव वाले रवैये के तथा उस अवधि में इसके मंच पर उनके अधिकारों के दुरुपयोग के अनेक प्रमाण हैं जो अब सार्वजनिक हैं।''