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कर्नाटक BJP की समीक्षा बैठक में बवाल, 100 से ज्यादा उम्मीदवारों ने पार्टी की नीतियों और पूर्व CM पर उठाए सवाल

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 नई दिल्ली

कर्नाटक में चुनाव हारने के बाद बीजेपी ने हार के कारणों की समीक्षा करने के लिए बैठक बुलाई थी लेकिन यह बैठक आरोप-प्रत्यारोप का अखाड़ा बनकर रह गया। पार्टी में चल रहे आरोप-प्रत्यारोप की वजह से ही अभी तक राज्य में नेता विपक्ष की नियुक्ति नहीं हो सकी है। समीक्षा बैठक में चुनाव हारने वाले करीब 100 उम्मीदवारों ने पार्टी की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

बेंगलुरु में पिछले सप्ताह आयोजित समीक्षा बैठकों में हारने वाले बीजेपी उम्मीदवारों ने चुनावी हार की जवाबदेही की मांग करते हुए आरोप लगाया कि  पार्टी के शीर्ष नेताओं ने चुनाव की अंतिम घड़ी में बिना उचित परामर्श के न केवल कई नीतिगत फैसले गलत लिए बल्कि उम्मीदवारों के चयन में भी गड़बड़ियां कीं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैठक में कर्नाटक के प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, राज्य भाजपा अध्यक्ष नलिन कटील, राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि (चार बार के विधायक जो विधानसभा चुनाव हार गए), पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा, पूर्व सीएम बोम्मई, पूर्व केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा और पूर्व कर्नाटक बीजेपी प्रमुख के एस ईश्वरप्पा भी शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक, 100 से ज्यादा ऐसे बीजेपी उम्मीदवार भी बैठक में मौजूद थे, जो चुनाव हार गए थे।

बैठक में बीजेपी नेताओं के एक वर्ग ने तर्क दिया कि कांग्रेस की पांच गारंटी के वादों ने उसे बढ़त दिलाई, जबकि बसवराज बोम्मई सरकार की योजनाओं को मतदाताओं तक सही तरीके से नहीं पहुँचाया गया। बैठक में सबसे ज्यादा आलोचना मुसलमानों के लिए आरक्षण समाप्त करने और वोक्कालिगा, लिंगायत, और एससी और एसटी के बीच फिर से आरक्षण कोटा वितरित करने के बोम्मई सरकार के फैसले की हुई।

बेंगलुरु में पार्टी अब तक दो बार समीक्षा बैठकें आयोजित कर चुकी है। इनमें से एक बैठक निर्वाचित विधायकों और संगठन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने और अगले साल के लोकसभा चुनावों के लिए जिम्मेदारियां तय करने के लिए थी; और दूसरी बैठक हारने वाले उम्मीदवारों संग उनके हार के कारणों की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई थी। सूत्रों के मुताबिक, जो अन्य दलों से भाजपा में आए थे और चुनाव हार गए, वे भी बैठक में मौजूद थे। वे भाजपा से पूरी तरह निराश दिखे। पार्टी नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व से हार की जिम्मेदारी तय करने की भी मांग की है। बता दें कि पिछले महीने हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सिर्फ 66 सीटों पर जीत मिल सकी, जबकि कांग्रेस को 135 सीटें मिलीं।