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‘बिपरजॉय’ 24 घंटों में तूफान में तब्दील हो जाएगा, इन 3 राज्यों में खतरा

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 नईदिल्ली

अरब सागर में उठा चक्रवाती तूफान (Biparjoy Cyclone) बिपरजॉय खतरनाक होता जा रहा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, अगले 24 घंटों में यह खतरनाक तूफान में तब्दील हो जाएगा।

कितना खतरनाक है यह तूफान

बुधवार सुबह 5:30 बजे जारी बुलेटिन में आईएमडी ने बताया कि अगले तीन से चार दिनों में तूफान की गति 135-145 किमी प्रति घंटे रहेगी। इसका सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र, गोवा, लक्षद्वीप और कर्नाटक में देखने को मिलेगा। मछुआओं को समुद्र से दूर रहने को कहा गया है।

10 जून तक खतरा, क्या मानसून पर पड़ेगा असर

इस चक्रवाती तूफान के कारण 10 जून तक मौसम पर असर दिखा दे सकता है। आशंका जताई जा रही है कि इसका असर मानसून पर भी पड़ सकता है।

मानसून को लेकर भारतीय मौसम विभाग का एक जून और फिर चार जून का पूर्वानुमान गलत साबित हो चुका है।

चक्रवात की स्थिति कहां: मौसम विभाग की सुबह की बुलेटिन में कहा गया है, “चक्रवाती तूफान 'बिपरजॉय' पूर्व-मध्य और उससे सटे दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर पिछले 3 घंटों के दौरान व्यावहारिक रूप से स्थिर रहा और 7 जून, 2023 की सुबह 02.30 बजे के करीब लगभग 12.5° उत्तरी अक्षांश और  66.0° पूर्वी देशांतर के पास उसी क्षेत्र में केंद्रित रहा। इसका विस्तार गोवा से 900 किमी पश्चिम-दक्षिण पश्चिम में, मुंबई से 1,020 किमी दक्षिण पश्चिम में, पोरबंदर से 1,090 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम और कराची से 1380 किमी दक्षिण में है।"

मानसून को पभावित करेगा चक्रवाती तूफान:  मौसम विभाग ने कहा है कि चक्रवाती तूफान की वजह से पश्चिम मध्य और दक्षिण अरब सागर से सटे क्षेत्रों और उत्तर केरल-कर्नाटक-गोवा के तटों पर 40-50 किमी प्रति घंटे से 60 किमी प्रति घंटे की गति से तेज़ हवा चलने की संभावना है। आईएमडी के अनुसार, चक्रवात बिपरजॉय की तीव्रता, अरब सागर में इसके उत्पत्ति स्थान और इसके बाद की गति से दक्षिण-पश्चिम मानसून के केरल आगमन की तारीख प्रभावित होने की संभावना है और इसमें अब एक हफ्ते की देरी हो सकती है।

भारी बारिश और तेज हवाओं का दौर: IMD ने चक्रवात की रूपरेखा और उसकी तीव्रता को देखते हुए केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय इलाकों में मछुआरों को सावधानी बरतने और समंदर में न जाने की सलाह दी है। चक्रवात की वजह से 7 से 9 जून तक लक्षद्वीप,उत्तरी कर्नाटक और केरल के तटीय इलाकों में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश की भी संभावना जताई गई है।

उत्तरी हिंद महासागर में तीन सप्ताह के भीतर बनने वाला यह दूसरा चक्रवात है। इससे पहले बंगाल की खाड़ी में बने  चक्रवात मोचा ने बांग्लादेश और म्यांमार में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई थी। 2021 में भी चक्रवात यास की वजह से मानसून का गति प्रभावित हुई थी।

मौसम विज्ञानियों का मानना है कि यह चक्रवात केरल की तरफ बढ़ रहे मानसून के रास्ते में भी रोड़े अटका रहा है। यह चक्रवाती तूफान ही तय करेगा कि मानसून की गति और स्थिति क्या होगी।

दो अनुमान गलत होने के बाद आईएमडी के तीसरे अपडेट को लेकर भ्रम बना हुआ है। सामान्यतः एक जून को मानसून केरल में प्रवेश करता है और जून के अंत तक देश के अधिकांश हिस्सों में छा जाता है। पिछली बार केरल में मानसून का प्रवेश 29 मई को हो गया था।