जबलपुर
आने वाले दिनों में राष्ट्रीय उद्यान कान्हा से बांधवगढ़ में करीब एक सेकड़ा बारहसिंगा छोड़े जाएंगे। पहली किस्त के रुप में 17 बारहसिंगा छोड़े गए हैं। इन सभी पर गहरी नजर रखी जा रही है। यदि ये सभी बांधवगढ़ में ढल गए तो बाकी के बारह सिंगा भी छोड़ने का सिलसिला शुरू होगा। मप्र राज्य वन अनुसंधान भोपाल मुख्यालय से मिले निदेर्शों के तहत ये कवायद शुरू की जा रही है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष कुल 50 बारहसिंगा छोड़े जा रहे हैं और अगले साल 50 और बारहसिंगा छोड़े जाएगे।
कान्हा में हजार से भी ज्यादा बारहसिंगा
कान्हा किसली सहित अन्य जोनों में बारहसिंगा की संख्या करीब हजार के ऊपर है। वनविभाग आला अधिकारी चाहते हैं कि बारहसिंगा को अन्य क्षेत्रों में भी भेजकर उस जाति का विस्तार किया जावे। वन्य प्राणी विशेषज्ञों क ी अध्ययन रिपोर्ट यह बताती है कि करीब 17 प्रतिशत बारहसिंगा की ग्रोथ रेट है। यदि इन्हें अन्य वन परिक्षेत्रों में छोड़ा जाएगा तो उनकी संख्या तो बढ़ेगी ही साथ ही बारहसिंगा जाति का विस्तार भी हो सके गा। साथ ही यह टूरिज्म के हिसाब से भी फायदेमंद होगा।
अभी 50 की अनुमति
राज्य वन अनुसंधान से अभी 50 बारहसिंगा को छोड़े जाने की अनुमति मिली है। बाकी 50 की अनुमति अगले साल के लिए है। इस सम्बंध में प्राणी विशेषज्ञ डॉ अनिरुद्व मजूमदार का कहना है कि जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर किसी वन्य प्राणी को शिफ्ट किया जाता है तो वहां की प्रकृति उस प्राणी के अनुकुल है या नहीं इस पर गहन अध्ययन की आवश्यकता पड़ती है। इसके बाद ही आगे का निर्णय लिया जाता है। जबलपुर स्थित राज्य अनुसंधान केन्द्र में पदस्थ वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आरएन त्रिपाठी और डॉ अनिरुद्व मजूमदार पूर्व में ही अध्यययन कर रिपोर्ट दे चुके हैं।
कान्हा से हमारे यहां आए सभी बारहसिंगा पूर्णत स्वस्थ्य है एक माह बाद 31 बारहसिंगा यहां और लाए जाएंगे,जबकि अगले साल 50 और बारहसिंगा लाने की प्रक्रिया चल रही है।
सुधीर मिश्रा, एसडीओ,वनविभाग बांधवगढ़