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नेपालियों को क्यों पसंद नहीं आया अपने PM का उज्जैन महाकालेश्वर जाना, संसद पर भी आपत्ति

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नई दिल्ली
भारत दौरे पर आए नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर भी पहुंचे। अब खबर है कि दौरे के बीच यह धार्मिक यात्रा कुछ नेपाली नागरिकों को पसंद नहीं आई है। उनका कहना है कि एक वामपंथी नेता के तौर पर पीएम दहल का मंदिर जाना ठीक नहीं है। खास बात है कि इससे पहले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री नई संसद में बने 'अखंड भारत' के भित्ति चित्र पर सवाल उठा चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डेनमार्क में नेपाल के पूर्व राजदूत प्रोफेसर विजय कांत करण ने कहा, 'प्रचंड का उज्जैन जाने का फैसला एक वामपंथी नेता को शोभा नहीं देता। वह भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं और हम महाकालेश्वर मंदिर जाने के बजाए उनका मुंबई या हैदराबाद में बैठकें करने के फैसले को पसंद करते। नेपाल की अर्थव्यवस्था की प्रगति की जरूरत है और उन्हें इसी पर ध्यान लगाना चाहिए।'

उन्होंने आगे कहा, 'इसके अलावा नेपाल में राजनीतिक स्थिति भी निश्चित नहीं है। अगर वह धार्मिक जगह के बजाए अपने काम की बैठकों को अहमियत देते, तो हमें अच्छा लगता और खासतौर से तब जब वह एक कम्युनिस्ट नेता हैं।' दरअसल, रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि प्रचंड की पत्नी गंभीर रूप से बीमार हैं और वह उनके स्वस्थ होने की प्रार्थना के लिए महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे थे।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी नेपाली प्रधानमंत्री ने भारत में मंदिर का दौरा किया हो। पूर्व पीएम शेर बहादुर भी अप्रैल 2022 में भारत आए थे और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे थे। खास बात है कि पत्नी के साथ मिलकर उन्होंने 'रुद्राभिषेक' भी किया था। 68 साल के दिसंबर 2022 में प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला था और उसके बाद, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी (सीपीएन-माओवादी) नेता की यह पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा है।

नई संसद से क्या आपत्ति
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई भारत की नई संसद में बने 'अखंड भारत' के भित्ति चित्र पर आपत्ति जता चुके हैं। उन्होंने कहा था,  'पहले ही भरोसे की कमी के चलते खराब हो रहे भारत के कई पड़ोसियों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को यह और खराब कर सकता है।' कहा जा रहा है कि भित्ति चित्र में कपिलवस्तु और लुंबिनि को देखकर भट्टाराई की तरफ से चेतावनी जारी की गई है।

विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल के नेता और पूर्व पीएम केपी शर्मा एली ने कहा था, 'यह सही नहीं है।' उन्होंने कहा, 'अगर भारत जैसा देश खुद के पौराणिक और मजबूद देश के रूप में देखता है और लोकतंत्र के रूप में नेपाली क्षेत्रों को अपने नक्शे पर रखकर संसद में लगाता है, तो यह ठीक नहीं है।' उन्होंने कहा था, 'कल पीएम भारत जा रहे हैं। उन्हें भित्ति चित्र हटाने के लिए कहना चाहिए। उन्हें भारत सरकार से यह गलती ठीक करने के लिए कहना ही होगा। अगर आप ऐसा नहीं कर सकते, तो आपके भारत दौरे का कोई मतलब नहीं है।'