भोपाल
नए पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से मध्य प्रदेश में जून के पहले सप्ताह तक बारिश और आंधी के जारी रहने का अनुमान है। आज सोमवार को भी करीब 3 दर्जन से ज्यादा जिलों में बारिश और एक दर्जन ओला की संभावना जताई गई है।जबलपुर में 30 मई के बाद पारा चढ़ने की संभावना है। इधर, आज ही जम्मू-कश्मीर में एक और विक्षोभ सक्रिय हो रहा है, जिसके प्रभाव से तीन जून तक गर्मी से राहत बनी रहेगी।वही तापमान के भी बढ़ने के आसार कम है। आगामी दो जून तक भी ऐसा ही मौसम रहेगा।
आज इन जिलों में बारिश का अलर्ट
एमपी मौसम विभाग की मानें आज मंगलवार को ग्वालियर – चंबल संभाग में बारिश को लेकर ऑरेंज जारी किया गया है। यहां अगले 3 दिन बारिश के साथ 50Km प्रतिघंटा या इससे ज्यादा की रफ्तार से हवा चल सकती है। इसके अलावा भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर में भी मौसम बदला रहेगा और गरज-चमक के साथ आंधी और बारिश हो सकती है।वही गुना और श्योपुर में ओले गिरने की आशंका है। इंदौर, उज्जैन, रीवा, नर्मदापुरम, भोपाल और सागर संभाग के साथ अनूपपुर, जबलपुर, मंडला और सिवनी जिलों में कहीं-कहीं हवा की रफ्तार तेज हो सकती है।
प्रदेश में सामान्य से 348% ज्यादा बारिश
मौसम विभाग के मुताबिक, प्रदेश में 1 मार्च से अब तक 77.1 मिमी बारिश हो चुकी है। यह अब तक की सामान्य बारिश 17.2 से 348% ज्यादा है। भोपाल जिले में अब तक 121.3 मिमी बारिश हो चुकी है। यह अब तक की सामान्य बारिश 21 मिमी से 477% ज्यादा है।
गुना और श्योपुर में ओलावृष्टि की चेतावनी
मौसम विभाग ने गुना और श्योपुर में ओले गिरने का अनुमान जारी किया है। इंदौर, उज्जैन, रीवा, नर्मदापुरम, भोपाल और सागर संभाग के साथ अनूपपुर, जबलपुर, मंडला और सिवनी जिलों में कहीं-कहीं हवा की रफ्तार तेज हो सकती है। राजधानी भोपाल की बात करें, तो यहां 30-31 मई को बारिश हो सकती है। 1 जून को बादल छाए रहने और 2 जून को मौसम साफ रहने का अनुमान है।
दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के साथ तीन सिस्टम का प्रभाव
सीनियर वेदर साइंटिस्ट वेदप्रकाश सिंह ने बताया कि पिछले 48 घंटे में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आगे बढ़कर हिमाचल प्रदेश के आसपास और ईरान-पाकिस्तान के ऊपर ट्रफ के रूप में एक्टिव रहा। दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान पर जो चक्रवाती घेरा था, वह दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के ऊपर आ चुका है। इसी चक्रवाती घेरे से पूर्व-पश्चिमी ट्रफ लाइन मध्यप्रदेश पर एक्टिव थी। उत्तर-दक्षिण ट्रफ लाइन भी छत्तीसगढ़ से लेकर दक्षिण भारत तक सक्रिय थी। अरब सागर से नमी भी आई। दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के साथ तीन सिस्टम का प्रभाव रहा। इस कारण हवा की रफ्तार तेज रही और पानी गिरा।