नई दिल्ली
नए संसद भवन के उद्घाटन का कार्यक्रम शुरू हो गया है। 19 विपक्षी पार्टियों ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। उनका कहना है कि नए संसद भवन की जरूरत ही नहीं थी और अगर ऐसा किया भी जा रहा था तो इसका उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों कराया जाना चाहिए था। नए संसद भवन का निर्माण सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंतरगत किया गया है। इस प्रोजेक्ट में 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। वहीं संसद भवन के निर्माण में 862 करोड़ रुपये लगे हैं।
आखिर क्यों पड़ी नए संसद भवन की जरूरत?
पुराना संसद भवन 100 साल पुराना है। सरकार का कहना है कि एक तो यह इमारत पुरानी और खतरनाक हो गई है। दूसरा इसमें सीटें कम हैं। पुराने संसद भवन की लोकसभा में 545 सीटें हैं। 2026 तक तो लोकसभा सीटों में बदलाव नहीं होने वाला है लेकिन इसके बाद संभव है कि नए परिसीमन के आधार पर सीटें बढ़ जाएं। इसलिए फिर पुराने संसद भवन में नए सांसदों के लिए जगह नहीं बचेगी।
सरकार का यह भी कहना है कि पुरानी इमारत में आधुनिक सुविधाएं मुश्किल हो रही थीं। इसमें एयर कंडिशनिंग, सीसीटीवी, ऑडियो वीडियो सिस्टम आदि का ध्यान नहीं रखा गया था। वहीं इस इमारत में सीलन आती है। इसके अलावा दिल्ली में भूकंप की संभावनाएं बढ़ी हैं और उस हिसाब से पुरानी इमारत तैयार नहीं है। इसके अलावा पर्याप्त जगह ना होने की वजह से पुराने संसद भवन में काफी भीड़ हो जाती है।
कितनी थी पुराने संसद भवन की लागत
नई संसद में लोकसभा में 888 सीटों की व्यवस्था है। वहीं पुराने संसद भवन में 552 सीटें थीं। इसके अलावा राज्यसभा में अब 384 सीटें होंगी। पुराने संसद भवन में 250 ही सीटें थीं। पुराने संसद भवन के निर्माण में 100 साल पहले 83 लाख रुपये खर्च हुए थे। वहीं नए संसद भवन की निर्माण लागत 862 करोड़ रुपये है। पुराने संसद भवन को बनाने में 6 साल का वक्त लगा था।
पुराने संसद भवन का क्या होगा?
ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने इस संसद भवन का डिजाइन तैयार किया था। 1921 से 1927 तक इसका निर्माण हुआ। यह इमारत ब्रिटिश सरकार की विधान परिषद हुआ करती थी। आजादी के बाद इसे संसद भवन के रूप में अपनाया गया। जानकारी के मुताबिक नई संसद बनने के बाद इस इमारत का इस्तेमाल संसदीय कार्यक्रमों के लिए किया जाएगा। बता दें कि संसद भवन ही नहीं बल्कि राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट और कनॉट प्लेस का डिजाइन भी एडविन लुटियन ने ही तैयार किया था।