भोपाल
झाबुआ जिले के ग्राम भुरीमाटी की श्रीमती शारदा सिंह वासुनिया कहती हैं कि काला कड़कनाथ हमारे जीवन में उजियारा लाया है। सरकार ने हमें स्व-रोजगार के लिये कड़कनाथ के 40 चुजे दिये थे। ये 5 से 6 महीने में बाजार में बेचने लायक हो जाते हैं। इनसे अण्डें भी मिल रहे हैं। मुनाफा अच्छा होने से परिवार की बहुत सारी जरूरतें अब पूरी होने लगी हैं। खुशी है कि कड़कनाथ को बाजार में बेचने से जहाँ आमदनी हो रही है, वहीं उसके अंडों से परिवार को भी पौष्टिक आहार मिल रहा है।
श्रीमती शारदा के पति कमल सिंह वासुनिया खेती और मजदूरी करते हैं। उनका कहना है कि हम सरकार की जितनी भी तारीफ करें कम है। सरकारी सहायता से जब से शारदा ने कड़कनाथ मुर्गी पालन का काम शुरू किया है, तब से मेरी बहुत सी चिंताएँ कम हो गई हैं। इससे हमें 20 हजार रूपये तक की आमदनी हो जाती है।
उल्लेखनीय है कि झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी और धार जिले में अनुसूचित जनजाति के लोगों को अनुदान पर कड़कनाथ चुजे प्रदाय किये जा रहे हैं। झाबुआ जिले को कड़कनाथ की मूल प्रजाति के लिए जीआई टैग भी मिला हुआ है। इकाई लागत 4 हजार 400 रूपये है, जिसमें 3 हजार 300 रूपये का पशुपालन विभाग द्वारा अनुदान दिया जाता है। हितग्राही को मात्र 1100 रूपये अंशदान के रूप में व्यय करने होते हैं। एक बार इकाई शुरू होने के बाद चुजा, मुर्गा और अण्डा से आमदनी सतत जारी रहती है। अन्य मुर्गें की अपेक्षा कड़कनाथ अच्छी आमदनी देने के साथ पौष्टिकता से भरपूर होता है।
कड़कनाथ और अन्य प्रजातियों में अंतर
तत्व |
कड़कनाथ |
अन्य प्रजातियाँ |
विकास का समय |
90-100 दिन |
40-45 दिन |
वजन |
1250ग्राम/90-100 दिन |
2 कि.ग्रा./40-45 दिन |
क्रूड प्रोटीन |
25%-27% |
17%-18% |
कैलोरी |
2400-2500 कैलोरी |
3250-2800 कैलोरी |
फैट |
0.73 से 1.03% |
13 से 25% |
कोलेस्ट्राल |
184.75 मि.ग्रा./100 ग्राम |
218.12 मि.ग्रा |
लिनोलिक एसिड |
24% |
21% |
बीमारियाँ |
कम संक्रामक |
अधिक संक्रामक बेक्टीरिय एवं वॉयरल बीमारियाँ |
पालन से लाभ |
ब्रांडडे वेल्यू तथा नियमित आय के साथ अधिक दर पर विक्रय |
सामान्य वेल्यू तथा कम दरों पर विक्रय |