प्रयागराज
जीवनसाथी से लंबे समय तक यौन संबंध न बनाने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जीवन साथी के साथ लंबे समय तक यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना मानसिक क्रूरता है. कोर्ट ने इसी आधार पर वाराणसी के दंपत्ति के विवाह विच्छेद (तलाक) की अनुमति दे दी है.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थ की खंडपीठ ने वाराणसी के रविंद्र प्रताप यादव की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है. परिवारिक न्यायालय ने याची की विवाह विच्छेद (तलाक) की अर्जी खारिज कर दी थी, जिसे अपील में चुनौती दी गई थी.
याचिकाकर्ता रविंद्र प्रताप यादव का विवाह 1979 में हुआ था. शादी के कुछ समय के बाद उसकी पत्नी का व्यवहार बदल गया. उसने पत्नी के रूप में रहने से इंकार कर दिया था. आग्रह के बावजूद पति से दूर ही रही और आपसी संबध नहीं बने,
जबकि दोनों एक ही छत के नीचे रहते थे. कुछ दिन बाद पत्नी मायके चली गई.
पति ने उसे घर चलने के लिए कहा तो वह मानी नहीं. 1994 में गांव में पंचायत कर 22 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के बाद आपसी तलाक हो गया. पत्नी ने बाद में दूसरी शादी कर ली. पति ने तलाक देने की अदालत में अर्जी दी, लेकिन वह अदालत गई ही नहीं. परिवारिक न्यायालय ने पति की तलाक अर्जी को खारिज कर दिया.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि शादी के बाद लंबे समय तक पति-पत्नी अलग रहते थे, पत्नी के लिए वैवाहिक बंधन का कोई सम्मान नहीं था, उसने अपने दायित्वों का निर्वहन करने से इंकार कर दिया, इससे यह साबित हो गया कि दोनों की शादी टूट चुकी है.