Home मध्यप्रदेश परियोजनाओं का नियोजन करते समय वर्तमान के साथ ही भविष्य की जरूरतों...

परियोजनाओं का नियोजन करते समय वर्तमान के साथ ही भविष्य की जरूरतों को भी ध्यान में रखें

6

इंफ्रास्ट्रक्चर आउटरीच विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित

भोपाल

भारत सरकार के आर्थिक कार्य विभाग द्वारा नगरीय विकास एवं आवास विभाग, मध्यप्रदेश के सहयोग से इंफ्रास्ट्रक्चर आउटरीच विषय पर कार्यशाला की श्रृंखला में चौथी दो दिवसीय कार्यशाला भोपाल में की जा रही है। कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव वित्त अजीत केसरी ने कहा कि परियोजनाओं का नियोजन करते समय वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की जरूरतों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि परियोजना अपने आप में वित्तीय रूप से सक्षम हो, जिससे संचालन और संधारण के व्यय की व्यवस्था हो सके।

प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास नीरज मण्डलोई ने कहा कि बढ़ते शहरीकरण की चुनौती को संभावनाओं के रूप में देखना होगा। उन्होंने कहा कि नगरों को ग्रोथ इंजन की तरह देखा जा रहा है। शहरीकरण के साथ बड़े स्तर पर अधो-संरचना विकास के लिए वित्तीय संसाधनों की जरूरत होगी। अधोसंरचना को व्यापक एवं व्यवहारिक तौर पर निरंतर उपयोगी रखने के लिए फाइनेंशियल लिवरेजिंग सफलता की कुंजी है। परियोजनाओं को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड के साथ-साथ वित्तीय तौर पर सक्षम बनाने में प्रचलित भूमि प्रबंधन के प्लानिंग टूल्स का उपयोग समय की आवश्यकता है। मंडलोई ने दूसरे राज्यों से आए हुए प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि उनके अनुभव और विचार मध्यप्रदेश के लिए उपयोगी रहेंगे।

भारत सरकार के आर्थिक कार्य विभाग के संयुक्त सचिव सोलोमन आरोक्याराज ने स्वागत उद्बोधन दिया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र के प्रथम चरण में सपोर्ट टू सोशल अर्बन एंड पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर विषय पर पैनल डिस्कशन हुआ। इसका समन्वय अपर आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास श्रीमती रुचिका चौहान ने किया। श्रीमती चौहान ने विस्तृत प्रेजेंटेशन के माध्यम से विभाग की उपलब्धियों को साझा किया। श्रीमती चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश के नगरों में स्मार्ट सिटी मिशन, अमृत प्रधानमंत्री आवास योजना, अर्बन ट्रांसपोर्ट और स्वच्छ भारत मिशन के क्षेत्र में अग्रणी कार्य किए जा रहे है। श्रीमती चौहान ने प्रतिभागियों को इंदौर में चल रहे गोवर्धन प्रोजेक्ट की विशेषताओं के साथ प्रदेश में पीपीपी मोड में किए जा रहे नवाचारों से भी अवगत कराया। उल्लेखनीय है कि दो दिवसीय इस कार्यशाला में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, दिल्ली, दादर और नागर हवेली, दमन और दीव के प्रतिनिधि सहभागिता कर रहे है।