पुरुषों की बॉडी क्लॉक अधिक संवेदनशील होती है। इसमें समय के विपरीत काम करने पर इसमें गड़बड़ी की संभावना अधिक रहती है। उनकी जीन गतिविधि से लेकर आंत के बैक्टीरिया और रक्तचाप तक सब कुछ अस्त-व्यस्त हो सकता है।
रात की शिफ्ट में काम करना महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों के लिए ज्यादा खतरनाक है। पुरुषों को ऐसा करने से मुधुमेह और उच्च रक्तचाप का जोखिम ज्यादा बना रहता है। ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। अध्ययन में कहा गया है कि पुरुषों की बॉडी क्लॉक अधिक संवेदनशील होती है। इसमें समय के विपरीत काम करने पर इसमें गड़बड़ी की संभावना अधिक रहती है। उनकी जीन गतिविधि से लेकर आंत के बैक्टीरिया और रक्तचाप तक सब कुछ अस्त-व्यस्त हो सकता है। इसके विपरीत महिलाओं में इसकी संभावना कम होती है।
ये होते हैं साइड इफेक्ट्स
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए ब्रिटेन में अलग-अलग शिफ्ट में काम करने वाले 90 हजार लोगों के डाटा का इस्तेमाल किया। इसमें पाया कि मानक घंटे काम करने वाले पुरुषों की तुलना में रात में काम करने वाले पुरुषों में मेटाबोलिक सिंड्रोम होने की संभावना अधिक थी जो हृदय रोग और मधुमेह के जोखिम का प्रमुख कारण है। इसके अलावा उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और शरीर में अतिरिक्त वसा होने का भी खतरा बना रहता है। वहीं, मानक घंटे काम करने वाली महिलाओं की तुलना में रात की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में यह जोखिम न के बराबर पाया गया। चाहे उन्होंने चिकित्सा पेशेवर या कारखाने में कर्मचारी के रूप में काम किया हो।
इस अध्ययन को साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इससे पहले के अध्ययनों में भी रात की शिफ्ट के काम को उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग और अन्य बीमारियों के बढ़ते जोखिमों से जोड़ा गया है। ऐसा माना जाता है कि जब आप रात में काम कर रहे हों तो स्वस्थ भोजन करना और व्यायाम करना कठिन होता है। इससे मानव शरीर की प्राकृतिक सर्कैडियन घड़ी भी प्रभावित होती है, जो सोने जागने का समय तय करती है। लेकिन, इनमें महिलाओं और पुरुषों में जोखिम का अंतर स्पष्ट नहीं था। पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी के पेरेलमैन स्कूल आॅफ मेडिसिन के प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख लेखक शोधकर्ता डॉ. गैरेट फिट्जगेराल्ड ने कहा कि नौकरी का प्रकार भी इन जोखिमों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सभी शिफ्ट का काम समान नहीं होता है। नौकरी के आधार पर यह जोखिम अलग-अलग हो सकता है। इसके अलावा शिक्षा और आय के आधर पर भी इन जोखिमों पर काफी प्रभाव पड़ता है।
रात में कृत्रिम रोशनी को कम करना होगा-
शिकागो में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी फीनबर्ग स्कूल आॅफ मेडिसिन के एक सहयोगी प्रोफेसर डॉ सबरा एबॉट ने कहा कि मैं नहीं चाहता कि लोग इसकी इस तरह व्याख्या करें कि रात की शिफ्ट का काम महिलाओं के लिए बुरा नहीं है। वहीं, फिट्जगेराल्डने ने भी जोर देकर कहा कि पूरा मामला जटिल है। दोनों विशेषज्ञों ने भी कहा कि अध्ययन के निष्कर्ष रात की शिफ्ट के काम के संभावित स्वास्थ्य प्रभावों को उजागर करते हैं। सभी को अच्छी नींद के महत्व के बारे में पता होना चाहिए। उन्होंने कहा, इसमें दिन के दौरान सूरज की रोशनी प्राप्त करना शामिल है, और रात में कृत्रिम रोशनी को कम करना शामिल है।