नई दिल्ली
दिल्ली में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर (Jagdish Tytler) के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। घटना के वक्त टाइटलर के दिए भाषण से 39 साल बाद मुकदमे को आगे बढ़ाने का आधार मिला है। सीबीआई ने पिछले माह टाइटलर की आवाज के नमूने की फॉरेंसिक जांच कराई थी। इसी नमूने को चार्जशीट में महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया गया है। सीबीआई ने चार्जशीट में कहा कि टाइटलर पर मुकदमा चलाने के लिए उन्हें नए सबूत मिले हैं। इसमें आवाज का नमूना सबसे महत्वपूर्ण है। सीबीआई को घटना के समय भीड़ को सिखों के खिलाफ उकसाने और दंगे भड़काने वाले भाषण का वीडियो मिला है। इसकी आवाज का मिलान टाइटलर की आवाज से कराया गया है। आवाज का नमूना 11 अप्रैल को लिया गया था।
मंजीत सिंह जीके ने दिया था वीडियो : घटना में नया मोड़ तब आया जब नेता मंजीत सिंह जीके ने 2018 में ‘स्टिंग’ वीडियो जारी कया। उन्होंने दावा किया था कि, उन्हें दिल्ली के एक कारोबारी ने वीडियो डाक के जरिए भेजा है। वीडियो में जगदीश टाइटलर भीड़ को उकसाते दिख रहे हैं। हालांकि, वीडियो की गुणवत्ता ज्यादा स्पष्ट नहीं थी, लेकिन आवाज सुनाई दे रही थी। सीबीआई के लिए यही अहम सबूत बना।
नानावती आयोग का गठन हुआ : जांच के लिए भारत सरकार ने 2000 में न्यायमूर्ति नानावती जांच आयोग का गठन किया। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय ने तत्कालीन सांसद टाइटलर समेत अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआई को जांच सौंप दी। सीबीआई ने इस बाबत वर्ष 2005 में दंगों के सभी मामलों में कई बड़े नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
मृतक की पत्नी इंसाफ के लिए लड़ती रही : पुलबंगश के गुरुद्वारे में अपने पति बादल सिंह को खोने वाली लखविन्द्र कौर अदालत में सीबीआई की रिपोर्ट का विरोध करती रही है। वह अदालत के समक्ष बार-बार खुद को घटना की चश्मदीद गवाह बताती रही। इसी का नतीजा है कि सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को बार-बार कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
चार्जशीट पर खुशी जताई : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका और महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों ने बताया कि सीबीआई द्वारा 1984 के सिख दंगों में चार्जशीट दाखिल होने पर खुशी जताई है।
देशभर में 2800 सिखों की जान गई थी
31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अगले दिन ही देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे। सड़कों, माहल्लों और कॉलोनियों में लोग एक-दूसरे की जान के दुशमन बन गए थे। देशभर में भड़की हिंसा में रिकॉर्ड के मुताबिक, 2800 सिखों की हत्या की गई। जिनमें से सबसे अधिक 21 सौ सिखों की हत्या दिल्ली में हुई। रिकॉर्ड के मुताबिक, अधिकांश सिखों को जिंदा जलाया गया।
टाइटलर ने कहा था, वह मौकों पर नहीं थे
जगदीश टाइटलर की तरफ से अदालत में हर बार दलील दी गई कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शव को तीन दिन तक तीन मूर्ति भवन में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। वह तीनों दिन तीन मूर्ति भवन में मौजूद थे। डीडी न्यूज लगातार इसकी कवरेज कर रहा था। उनकी तीनों दिन की उपस्थिति देखी जा सकती है। ऐसे में वह एक नवंबर 1984 को पुलबंगश के गुरुद्वारे पर कैसे मौजूद हो सकते हैं।