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कर्नाटक नतीजों से उत्साहित MVA, 2024 में सीटों के बंटवारे पर बनने लगा प्लान; यहां अटक सकता है पेंच

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मुंबई
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महा विकास अघडी (एमवीए) ने अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। एमवीए गठबंधन ने एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार के खिलाफ तैयारियों को पुख्ता करने के लिए बैठकों का दौर शुरू किया है। इन बैठकों में चुनाव से पहले सीट बंटवारे को लेकर चर्चाएं हो रही हैं।

सीटों के बंटवारे पर होगा काम
एमवीए  में तीन मुख्य पार्टियां शामिल हैं जिनमें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी और कांग्रेस हैं। कर्नाटक चुनाव के नतीजों के बमुश्किल एक दिन बाद, 14 मई की शाम को एमवीए के तीनों सहयोगियों ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार द्वारा उनके निवास पर बुलाई गई बैठक में भाग लिया। बैठक में उन्होंने फैसला किया 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए आम सहमति से सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर काम किया जाएगा। इसके लिए, प्रत्येक पार्टी के दो प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक छह सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा।

खबरों की मानें तो विपक्षी गठबंधन के सामने इस बार वैचारिक मतभेद या उनके सीट-साझाकरण के फॉर्मूले में ज्यादा दिक्कतें भले न आएं लेकिन सबसे बड़ी और असली चुनौती उसके नेतृत्व और भरोसे के मुद्दों पर केंद्रित होगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार ने सोमवार को कहा कि महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के नेता 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का फैसला करने के वास्ते एक समिति गठित करने पर विचार कर रहे हैं, जिसमें प्रत्येक घटक दल से दो सदस्य हो सकते हैं। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हार के मद्देनजर एमवीए महाराष्ट्र में अगले साल होने वाले आम चुनाव में सत्तारूढ़ दलों को संयुक्त रूप से चुनौती देने के लिए उत्साहित हुआ है।

"वज्रमुठ" रैलियां कर रहा MVA
राज्य भर में शिंदे सेना-भाजपा सरकार के खिलाफ संयुक्त "वज्रमुठ (लौह मुट्ठी)" रैलियां आयोजित करने की योजना के हिस्से के रूप में, एमवीए सहयोगियों ने अप्रैल से संभाजीनगर, नागपुर और मुंबई में ऐसी तीन रैलियां की हैं। लेकिन उनकी एकता का प्रदर्शन नेतृत्व संबंधी मतभेदों के कारण फींका पड़ गया। शिवसेना (यूबीटी) उद्धव ठाकरे को एमवीए के प्रमुख नेता के रूप में पेश करने की मांग कर रही है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस और राकांपा के कई नेताओं ने उद्धव को एमवीए के चेहरे के रूप में पेश करने की शिवसेना (यूबीटी) की कोशिश पर सवाल उठाया है। राकांपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, “रैलियों में उद्धव को एमवीए नेता के रूप में पेश करना हमारी पसंद नहीं है। हम इसे स्वीकार नहीं करते। एनसीपी में हमारे नेता शरद पवार हैं, और वह एमवीए के एक प्रमुख नेता भी हैं।”

"मजबूत, एकजुट विपक्षी मोर्चा"
कर्नाटक चुनाव परिणामों से उत्साहित, तीन एमवीए भागीदारों का मानना है कि 2024 के चुनावों में शिंदे सेना-बीजेपी गठबंधन को कड़ी टक्कर देने का एकमात्र तरीका "विश्वसनीय विकल्प" के रूप में "मजबूत, एकजुट विपक्षी मोर्चा" बनाना है। राज्य एनसीपी प्रमुख जयंत पाटिल ने कहा, “एमवीए एक वास्तविकता है। हम लोगों का विश्वास जीतने और महाराष्ट्र में अपने चुनावी आधार को मजबूत करने के लिए सभी प्रयास करेंगे। भाजपा ने 2019 में महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीट में से 23 सीट जीती थीं, जबकि तत्कालीन अविभाजित शिवसेना को 18 सीट पर जीत हासिल हुई थी। राकांपा को चार सीट मिली थीं और कांग्रेस को एक सीट से संतोष करना पड़ा था। एनसीपी नेता ने कहा, ‘‘बैठक में यह भी तय किया गया कि (एमवीए की) 'वज्रमूठ' रैलियां कहां आयोजित की जा सकती हैं।’’

राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने रविवार को कहा कि एमवीए की 'वज्रमूठ' रैलियां’ अभी रुकी हुई हैं और गर्मी कम होने के बाद ये फिर से शुरू होंगी। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के शनिवार को घोषित नतीजों में कांग्रेस ने 224 सीट में से 135 सीट पर जीत दर्ज की है, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा और पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले जनता दल (सेक्युलर) ने क्रमशः 66 और 19 सीट हासिल की हैं।